राज एक्सप्रेस। भारत में बहुत सालों से चल रहे अयोध्या मंदिर विवाद का फैसला आखिरकार 9 नबम्बर, 2019 को देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। यह मुद्दा अंततः खत्म तो हो गया, इस मुद्दे की लगभग अधिकांश लोगों ने तारीफ ही की, हालांकि मुस्लिम पक्ष ने भी इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने एक मुद्दा जरूर उठाया है। अभी हाल ही में अयोध्या मामले में प्रमुख मुद्दई रहे इकबाल अंसारी सहित कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उनकी यह मांगे (Muslim Cleric Demand) है-
क्या है इनकी मांग :
दरअसल, इनका येे कहना है कि, केंद्र सरकार से वर्ष 1991 में अधिग्रहित की गई भूमि में से मस्जिद के लिए जमीन देने की मांग की है, जो विवादित ढांचे के आस-पास की 67 एकड़ जमीन है, वह 1991 में केंद्र सरकार ने अधिग्रहित कर ली थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अगर सरकार हमें जमीन देना चाहती है, तो वह उसी 67 एकड़ हिस्से में से होनी चाहिए जिसे केंद्र ने अधिग्रहित किया था, हम तभी इसे स्वीकार करेंगे, नहीं तो हम जमीन लेने से इंकार कर देंगे।इकबाल अंसारी
मुसलमान मस्जिद बनाने के लिए अपने पैसे से जमीन खरीद सकते हैं और वे इसके लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं हैं, सरकार अगर हमें कुछ तसल्ली देना चाहती है तो उसे 1991 में अधिग्रहित की गई 67 एकड़ भूमि में से ही कोई जमीन देनी चाहिए, उस जमीन पर कई कब्रिस्तान और सूफी संत काजी कि़दवा समेत कई दरगाहे हैं।मौलाना जमाल अशरफ नामक स्थानीय धर्मगुरु
सरकार साफतौर पर बताएं कहां देगी जमीन :
वहीं अयोध्या मामले के एक अन्य मुद्दई ने यह पूछा है-
हम झुनझुना स्वीकार नहीं करेंगे, सरकार को साफ तौर पर बताना होगा कि, वह हमें कहां जमीन देने जा रही है।हाजी महबूब
हम बाबरी मस्जिद का मुकदमा लड़ रहे थे, ना किसी जमीन का :
इसके अलावा जमीअत उलमा ए हिंद की अयोध्या इकाई के अध्यक्ष मौलाना बादशाह खान का यह कहना है कि, मुसलमान बाबरी मस्जिद का मुकदमा लड़ रहे थे, ना कि किसी जमीन का, हमें मस्जिद के बदले कहीं कोई जमीन नहीं चाहिए, बल्कि हम उस जमीन को भी राम मंदिर निर्माण के लिए दे देंगे।
जमीन तलाशने की प्रक्रिया शुरू :
बतातेे चलें कि, यह जानकारी भी मिली है कि, उत्तर प्रदेश सरकार ने मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में एवं उसके आस-पास जमीन तलाशने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर यह बात बताई है कि, ''हमसे किसी प्रमुख और आकर्षक स्थान पर मस्जिद के निर्माण के लिए जमीन तलाशने को कहा गया है।''
जमीन लेने या ना लेने के संबंध में होगी बैठक :
अब बात यह आती हैै, मस्जिद निर्माण के लिए मुस्लिम पक्ष द्वारा जमीन ली जाती है या नहीं, इस मामाले पर अयोध्या मामले के प्रमुख पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश ने जमीन लेने या ना लेने के संबंध में आने वाली तारीख 26 नवंबर को होने वाली बैठक के दौरान यह निर्णय लेने की बात कही है। अगर आप यह जानना चाहते है कि, अयोध्या मंदिर मुद्दे पर किसका क्या रिएक्शन रहा, तो आप इसकी पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें-
अयोध्या मंदिर मुद्दे पर किसका क्या रिएक्शन- जाने हर एक बात
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