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उत्तर प्रदेश

Mathura Shri Krishna: मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले की सुनवाई आज

Mathura Shri Krishna: मथुरा श्रीकृष्ण जन्म भूमि शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी।

Author : Sudha Choubey

हाइलाइट्स-

  • मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले की सुनवाई आज।

  • मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि शाही ईदगाह मामला।

  • हिंदू पक्ष ने अर्जी दाखिल कर विवादित परिसर का रेवेन्यू सर्वे कराए जाने की मांग की है।

Mathura Shri Krishna: मथुरा श्रीकृष्ण जन्म भूमि शाही ईदगाह मामले में बड़ी खबर सामने आई है। बता दें, मथुरा श्रीकृष्ण जन्म भूमि शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष ने अर्जी दाखिल कर विवादित परिसर का रेवेन्यू सर्वे कराए जाने की मांग की है। इस पर मस्जिद पक्ष ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा था। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे हैं।

बता दें कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट मामले में आज मंगलवार को मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामलेकी सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष ने अर्जी दाखिल कर विवादित परिसर का रेवेन्यू सर्वे कराने की मांग की है। मस्जिद पक्ष ने इस अर्जी पर आपत्ति दाखिल करनेके लिए समय मांगा था। मामलेकी सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे हैं। गौरतलब है कि, कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति के आदेश के खिलाफ मस्जिद पक्ष नेसुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है, जिसमें आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगी है। इस कारण एडवोकेट कमिश्नर की रूपरेखा अभी तय नहीं की जा सकी है।

हिंदू पक्ष का कहना है कि, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और वहां कई संकेत हैं, जो स्थापित करते हैं कि, मस्जिद एक हिंदू मंदिर था। इसके अलावा मस्जिद के नीचे एक कमल के आकार का स्तंभ और 'शेषनाग' की एक छवि भी मौजूद है, जो हिंदू देवताओं में से एक हैं।

क्या है पूरा मामला:

दरअसल, यह पूरा मामला श्री कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह परिसर की 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है। इसमें करीब 11 एकड़ की ज़मीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर बना हुआ है और 2.37 एकड़ जमनी पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि, जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वो कंस की कारागार हुआ करती थी, जहां श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। हिन्दू पक्ष पूरी जमीं पर दावा करता है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1968 में हुए समझौते में ये भूमि मस्जिद के लिए दी गई थी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए 1968 के समझौते को नहीं मानता है।

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