Raebareli लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का इतिहास Raj Express
उत्तर प्रदेश

इंदिरा की हार से लेकर सोनिया के रिकॉर्ड तक, कांग्रेस की Raebareli में सत्ता

Raebareli लोकसभा सीट पर कांग्रेस की 3 हार में से एक हार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की थी। अब Rahul Gandhi अमेठी छोड़ यहां से चुनावी रण में उतरे हैं।

Author : Shreya N

हाइलाइट्स:

  • 2019 में सबसे कम 1,67,178 के वोट मार्जिन से जीती थी सोनिया गांधी।

  • भाजपा दो बार और जनता पार्टी 1 बार रायबरेली में जीत दर्ज कर चुकी है।

  • राहुल गांधी का मुकाबला विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह से होगा।

रायबरेली, उत्तर प्रदेश। Raebareli लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी का वह अभेद गढ़ है, जहां गांधी परिवार की सत्ता चलती है। फिरोज गांधी (Firoz Gandhi) से लेकर, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), फिर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी रायबरेली के रण में उतर गए हैं। भारत में लोकसभा चुनाव के इतिहास में कांग्रेस ने इस सीट पर 17 बार जीत दर्ज की है। पार्टी सिर्फ 3 बार रायबरेली से चुनाव हारी है। पिछले 2 दशक से सोनिया गांधी को रायबरेली से कोई पार्टी टक्कर नहीं दे पाई है। यहां तक की उनकी विनिंग मार्जिन भी कभी डेढ़ लाख से कम नहीं रही। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जानते हैं, रायबरेली लोकसभी सीट का इतिहास-

जब इंदिरा गांधी की रायबरेली से हुई हार

Raebareli लोकसभा सीट से पहले सांसद इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी (Firoz Gandhi) चुनकर आए थे। यह सीट तभी से गांधी परिवार का गढ़ है। 1967 में जब इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ने उतरी, तो उन्होंने भी रायबरेली को ही चुना। गांधी 1967 और 1971 दो बार रायबरेली की सांसद रह चुकी हैं।

1975 की इमरजेंसी के बाद, इंदिरा गांधी को पूरे देश के साथ-साथ अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली का भी क्रोध सहना पड़ा। 1977 में इंदिरा गांधी 55 हजार से ज्यादा वोटों से रायबरेली सीट पर चुनाव हार गई। उन्हें जनता पार्टी के राज नारायण ने हराया था। जिसके बाद वे कर्नाटक के चिकमगलूर सीट पर चुनाव लड़ने पहुंच गई और यहां उनकी जीत हुई। इस हार के बाद, इंदिरा लौटकर रायबरेली चुनाव लड़ने नहीं आई।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi)

दो बार आई भाजपा की सत्ता

भारतीय जनता पार्टी दो बार कांग्रेस के इस गढ़ को ध्वस्त करने में सफल रही है। 1996 और 1998 के चुनावों में भाजपा के अशोक सिंह (Ashok Singh) की इस सीट पर जीत हुई। जीत की मार्जिन एक बार 33,887 और दूसरी बार 40,722 रही। 1999 में कांग्रेस के सतीश शर्मा (Satish Sharma) ने फिर इस सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस की रायबरेली में वापसी कराई।

दो दशक से सोनिया गांधी का गड़

सोनिया गांधी (Soniya Gandhi) ने अपना पहला चुनाव 1999 में Amethi से लड़ा था। 2004 में उन्होंने अमेठी सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी और खुद Raebareli आ गई। 27 साल बाद, गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी के रण में उतरा था। सोनिया के इस निर्णय को रायबरेली की जनता ने खुले दिल से स्वीकारा। रायबरेली में अपने पहले ही चुनाव में सोनिया ने करीब ढाई लाख वोटों से जीत दर्ज की। पिछले दो दशकों से सोनिया गांधी रायबरेली की सत्ता में काबिज है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी विनिंग मार्जिन में कमी आते देखी गई है। 2014 का चुनाव सोनिया गांधी ने 3 लाख 52 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। 2019 में भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह (Dinesh Pratap Singh) के सामने उनकी विनिंग मार्जिन 1,67,178 की ही रह गई। ऐसे में भाजपा ने 2024 में फिर दिनेश प्रताप सिंह को ही रायबरेली से टिकट दी है।

सोनिया गांधी (Soniya Gandhi)

अब राहुल vs दिनेश प्रताप सिंह

सोनिया गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार के बाद, अब Rahul Gandhi रायबरेली की सत्ता संभालने पहुंचे हैं। राहुल गांधी 3 बार अमेठी के और 1 बार वायनाड के सांसद रह चुके हैं। 2019 में 55 हजार से ज्यादा वोटों से स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने उन्हें अमेठी में हराया था। ऐसे में इस बार वे रायबरेली आ गए। उनके सामने दिनेश प्रताप सिंह (Dinesh Pratap Singh) की चुनौती है, जो 2010 से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। पिछले चुनावों में उन्हें रायबरेली से हार मिली थी। सोनिया गांधी की यह जीत उनके राजनीतिक करियर की वोट मार्जिन के हिसाब से सबसे छोटी जीत थी। 

राहुल गांधी vs दिनेश प्रताप सिंह

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