उत्तर प्रदेश, भारत। उत्तर प्रदेश के चर्चित हाथरस कांड में स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने 19 साल की दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और मौत के मामले की सुनवाई हुई, जो पूरी हो चुकी है, अब अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।
अदालत ने UP सरकार को लगाई फटकार :
हाथरस केस की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पीड़ित परिवार समेत यूपी सरकार के अफसरों से तमाम मुद्दों पर सवाल किए। पीड़ित परिवार के साथ अपर मुख्य सचिव (गृह विभाग) अवनीश के अवस्थी, डीजीपी एचसी अवस्थी और स्थानीय प्रशासन, डीएम और एसपी समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद हैं। पीड़ित परिवार ने कोर्ट में कहा, ''उनको नहीं पता दाह संस्कार वाला शव उनकी बेटी का है या किसी और का है। बिना सहमति के अंतिम संस्कार कर दिया।'' वहीं, पीड़िता के अंतिम संस्कार मामले में यूपी पुलिस के एक्शन से इलाहाबाद हाई कोर्ट भी नाराज।
पीड़ित परिवार ने अदालत में रखी 3 मांग :
इस सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार ने हाई कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए तीन तरह की मांग की। पीड़िता के परिवार ने कोर्ट से कहा-
वह इस मामले को यूपी के बाहर के किसी राज्य में ट्रांसफर करने का आदेश दे।
इसके अलावा परिवार ने अनुरोध किया कि सीबीआई जांच के सभी तथ्य जांच पूरी होने तक पूरी तरह से गोपनीय रखे जाएं।
साथ ही जांच की अवधि में परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
अब 2 नवंबर को होगी सुनवाई :
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोर्ट ने पीड़ित पक्ष के सदस्यों की बातें सुनीं। बता दें, पीड़िता परिवार के पक्ष की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि, ''सरकारी पक्ष ने अपनी बात कहने के लिए और वक्त मांगा है, जिसके बाद दो नवंबर की तारीख दी गई है।''
कोर्ट ने ADG LO को उस बयान के लिए भी फटकार लगाई, जिसमें ADG LO ने कहा था कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ था, क्योंकि प्राइवेट पार्ट में स्पर्म नहीं मिले थे।वकील सीमा कुशवाहा
इसके अलावा कोर्ट ने शासन के अधिकारियों और डीएम हाथरस से सवाल किए। तो वहीं, सरकार की तरफ से AAG विनोद शाही ने विस्तृत जवाब दिया है।
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