Lok Sabha Election 2024: तीसरे चरण में UP की 10 सीटों पर होगी चुनावी टक्कर Raj Express
उत्तर प्रदेश

Lok Sabha Election 2024 : तीसरे चरण में UP की 10 सीटों पर होगी चुनावी टक्कर

Author : Shreya N

हाइलाइट्स:

  • 10 में से 9 सीटों पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला।

  • मैनपुरी सीट से अखिलेश यादव की पत्नि डिंपल यादव मैदान में हैं।

  • एटा से पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर जीत की हैट्रिक लगाने उतरेंगे।

  • बदायूं से 2 बार के सांसद धर्मेंद्र यादव का टिकट बदलकर आदित्य यादव पर दांव।

Uttar Pradesh Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई को उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर मतदान होने हैं। 2019 में इनमें से 8 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। जबकि 2 सीटों पर सपा ने रण अपने नाम किया था। इस बार भी इन सभी सीटों पर BJP और SP के बीच ही सीधी टक्कर है। कहीं-कहीं बसपा से त्रिकोणीय चुनौती मिल सकती है। महागठबंधन ने तीसरे चरण की 10 में से 9 सीटों पर सपा उम्मीदवारों और 1 पर कांग्रेस उम्मीदवार को टिकट दी है। समझते है तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों का समीकरण- 

संभल

उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट, एक ऐसा स्थान है जहां भाजपा अपना वर्चस्व नहीं दिखा पाई है। इतिहास में सिर्फ एक बार 2014 में पार्टी की यहां जीत हुई थी। सत्यपाल सिंह सैनी ने महज 5,174 मतों से सिटिंग एमपी सपा के शफीकुर्रहमान बर्क को मात दी थी। हालांकि 2019 में बर्क ने भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को हराकर फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया था। इस बार फिर भाजपा ने इस सीट से परमेश्वर लाल सैनी को ही टिकट दी है। हालांकि सिटिंग एमपी 94 वर्ष के शफीकुर्रहमान बर्क की इस साल फरवरी में मृत्यु हो गई थी। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने उनकी विरासत पोते जियाउर्रहमान बर्क को सौंपने का निर्णय लिया। मुस्लिम बहुल इस सीट पर जियाउर्रहमान को भाजपा प्रत्याशी को हराने के साथ-साथ अपने दादा की विरासत संभालने की भी जिम्मेदारी है।

संभल लोकसभा सीट

बरेली

बरेली लोकसभा सीट पर 8 बार के सांसद भाजपा के संतोष गंगवार का मुकाबला कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी में आए प्रवीण सिंह ऐरन है। 2009 में संतोष गंगवार को लगातार 6 बार बरेली से चुनाव जीतने के बाद, 7वीं बार प्रवीण सिंह ऐरन ने ही हराया था। तब वे कांग्रेस में थे। हालांकि उसके बाद 2014 और 2019 में फिर संतोष गंगवार की भारी मतों से जीत हुई। समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर ऐरन को ही संतोष गंगवार के विरुद्ध चुनावी मैदान में उतारा है। वे 2 बार बरेली के विधायक भी रह चुके हैं।

बरेली लोकसभा सीट

फतेहपुर सीकरी

2008 में अस्तित्व में आई फतेहपुर सीकरी सीट पर 1 बार बहुजन समाज पार्टी और 2 बार भारतीय जनता पार्टी की सत्ता रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से सिटिंग एमपी राजकुमार चाहर को टिकट दी है। 2019 के चुनावों में उन्होंने 4 लाख 95 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। इस सीट पर फिर से सत्ता स्थापित करने की ख्वाहिश में बसपा ने राम निवास शर्मा को टिकट दी है। महागठबंधन की सीट शेयरिंग में फतेहपुर सीकरी कांग्रेस के हिस्से में गई है। पार्टी ने यहां से रामनाथ सिकरवार को मैदान में उतारा है।

फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट

फिरोजाबाद

फिरोजाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी ने अक्षय यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। वे पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के डॉ चंद्रसेन ने सिटिंग एमपी अक्षय को 28 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। हालांकि भाजपा ने 2024 में यहां से उनकी टिकट काट कर ठाकुर विश्वदीप सिंह को उम्मीदवार बनाया है। ठाकुर विश्वदीप 2014 में बसपा की टिकट से यहां चुनाव हार चुके हैं। वे जिले में कई स्कूलों और कॉलेजों का संचालन करते हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद की सत्ता में बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार चौधरी बशीर को मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।

फिरोजाबाद लोकसभा सीट

बदायूं

उत्तर प्रदेश की बदायूं सीट पर भी इन चुनावों में खासी नजर होगी। 22 साल बाद 2019 में भारतीय जनता पार्टी, यहां से सपा की सत्ता उखाड़ने में सफल हुई थी। हालांकि पार्टी ने 2019 में 18,454 वोटों से जीत दर्ज करने वाली संघमित्रा मौर्य का टिकट काट कर, दुर्विजय सिंह शाक्य पर विश्वास जताया है। दूसरी तरफ सपा के टिकट बदलने के चलते यहां, अखिलेश यादव की छवि साख पर है। बदायूं से पहले 2 बार के सांसद और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दी गई थी। लेकिन बाद में सपा प्रमुख ने चाचा शिवपाल यादव को यहां बदायूं से प्रत्याशी बनाया और धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ की कमान सौंप दी। बाद में स्थानीय इकाई ने इस फैसले का विरोध किया। ऐसी परिस्थिति में शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को बदायूं से चुनावी मैदन में उतारा गया। बसपा ने यहां से मुस्लिम खां को टिकट दी है।  

बदायूं लोकसभा सीट

मैनपुरी

उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल सीट होने वाली है। पिछले 26 सालों से यहां समाजवादी पार्टी और खासकर यादव परिवार की एक छत्र सत्ता रही है। 2022 में सांसद मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद उनकी बहु और पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नि डिंपल यादव ने यहां से उपचुनाव में जीत दर्ज की। ऐसे में आम चुनावों में भी पार्टी ने उन्हें ही टिकट दी है। भारतीय जनता पार्टी ने सपा के इस अभेद गढ़ को ढहाने, मैनपुरी के विधायक और योगी सरकार में पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।

मैनपुरी लोकसभा सीट

हाथरस

अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित इस सीट पर भाजपा के सिटिंग एमपी राजवीर सिंह दिलेर का अप्रैल में निधन हो गया। दिलेर परिवार ने लंबे समय तक इस सीट पर राज किया है। राजवीर सिंह दिलेर के खराब स्वास्थ्य के चलते पार्टी ने पहले ही अनूप प्रधान को इस सीट से टिकट दी थी। प्रधान अलीगढ़ की खैर सीट के विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री है। उनके सामने बसपा ने हेमबाबू धनगर को मैदान में उतारा है। वे पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी ने जसवीर वाल्मीकि को टिकट दी है। ऐसे में इस सीट पर भी मुकाबला त्रिकोणीय है।

हाथरस लोकसभा सीट

आंवला

आंवला लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने अपने सिटिंग एमपी धर्मेन्द्र कश्यप पर फिर से विश्वास जताया है। 2019 के चुनावों में कश्यप की 1 लाख 13 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हुई थी। समाजवादी पार्टी ने यहां से बसपा छोड़कर आए पूर्व विधायक नीरज मौर्य को चुनावी मैदान में उतारा है। मौर्य 2007 में शाहजहांपुर के जलालाबाद विधानसभा सीट से बसपा की टिकट से विधानसभा चुनाव जीतकर आए थे। वहीं बसपा ने भी सपा छोड़कर आए आंवला नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष सैयद आबिद अली पर विश्वास जताया है। ऐसे में देखना होगा कि धर्मेंद्र कश्यप आंवला में अपनी सत्ता बचा पाते हैं या नहीं?

आंवला लोकसफा सीट

एटा

एटा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने फिर अपने सिटिंग एमपी राजवीर सिंह को टिकट दी है। राजवीर सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे हैं और 2 बार एटा के सांसद रह चुकें हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में राजवीर सिंह ने एटा से 2 लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी। उनके सामने समाजवादी पार्टी ने देवेश शाक्य पर भरोसा दिखाया है। वे दो बार जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा बसपा ने वकील मोहम्मद इरफान को टिकट दी है। इस सीट पर भाजपा लोध मतदाताओं पर तो सपा शाक्य और मुसलमान मतदाताओं को साधना चाहती है।

एटा लोकसभा सीट

आगरा

आगरा लोकसभा सीट पर एक समय में समाजवादी पार्टी के राज बब्बर की सत्ता थी। पिछले 3 सालों से भाजपा ने इसे अपना गड़ बना रखा है। अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित इस सीट पर पार्टी ने सिटिंग एमपी एस. पी. सिंह बघेल को टिकट दी है। वे 2 बार से इस सीट के सांसद रह चुके हैं। 2019 का चुनाव बघेल ने 2 लाख 11 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। एस. पी. सिंह के सामने सपा ने जूता कारोबारी सुरेश चंद कर्दम को मैदान में उतारा है। वे बसपा छोड़ सपा में आए हैं। इसके अलावा बसपा ने पूजा अमरोही पर विश्वास जताया है।

आगरा लोकसभा सीट

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