प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने कहा कि नए शैक्षिक सत्र 15 मार्च 2023 तक प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें और अभ्यास पुस्तिकाओं को पहुंचा दिया जाएगा, जिससे बच्चों को पठन पाठन में कोई परेशानी न होने पाए।
यह बातें बेसिक शिक्षा के महानिदेशक विजय किरन आनंद ने आज प्रयागराज में पत्रकारों से कही। इसके पूर्व बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद का स्वागत बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी, बीएसए फतेहपुर संजय कुमार कुशवाहा और मिड डे मील प्रभारी राजीव कुमार त्रिपाठी ने सरकिट हाउस में बुके देकर स्वागत किया।
बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि नए सत्र में प्रदेशभर में करीब 17 करोड़ किताबें बच्चों तक पहुंचाई जाएंगी। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों को नई शिक्षा नीति के तहत एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ने के लिए दी जाएंगी। प्रयागराज में निपुण भारत अभियान के तहत आयोजित मंडलीय कार्यशाला में शामिल होने आए स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने अनौपचारिक बातचीत में माना कि वर्तमान सत्र में अब तक सभी बच्चों को पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। इसकी वजह टेंडर में विलंब होने सहित कई अन्य तकनीकी कारण हैं।
उन्होंने विश्वास दिलाया कि अगले सत्र में इस तरह की कोई चूक नहीं होगी। वर्तमान सत्र के संदर्भ में बताया कि मंडलवार सभी बेसिक स्कूलों में तिमाही परीक्षाएं कराई जा रही हैं। प्रयागराज में नवंबर में यह परीक्षा सरल एप के माध्यम से कराई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा के बाद प्रत्येक विद्यार्थी और अभिभावक तक बच्चों का रिपोर्ट कार्ड भी भेजा जाएगा।
बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने कहा कि शिक्षकों के ब्लाक स्तर के स्थानांतरण आनलाइन होंगे। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बस शासन से अनुमति मिलने का इंतजार है उसके बाद ब्लॉक स्तर के तबादले शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जो भी परेशानियां हैं उन्हें जल्द दूर किया जाएगा। जहां तक सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय (पीएनपी) में अधिकारियों की कमी की बात है तो वहां की परीक्षाएं दूसरे आयोग से अगले सत्र में होने जा रही हैं। ऐसे में पीएनपी का कार्य किताबों और डीएलएड परीक्षा कराने तक रह जाएगा। बेसिक शिक्षा में स्थाई निदेशक सहित जो भी अन्य पद रिक्त हैं वह शीघ्र भरे जाएंगे। उन्होंने कहा कि शासन का पूरा जोर शिक्षा के सुधार पर है। सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाई जाए और अध्यापन का स्तर सुधरे। इन सभी बातों को लेकर निपुण भारत अभियान चलाया जा रहा है। अध्यापकों को कई तरह के प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं, जिससे कि वह बच्चों को और बेहतर शिक्षण दें सकें।
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