लखनऊ, उत्तरप्रदेश। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका को अपराधिक अपील के रुप में बदलने का आदेश दिया है। अदालत ने यह आदेश याचिका पेश करने वालों के वकीलों के आग्रह पर कि है।
याचिका में, मामले में अभियुक्तों को बरी किये जाने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। साथ ही इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती समेत सभी 32 लोगों को दोषी करार दिए जाने की गुजारिश भी की गई है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद व सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। सोमवार को याचियों के अधिवक्ता ने याचिका को अपराधिक अपील के रुप में बदलने की गुजारिश अदालत से की। जिसे मंजूर कर, अदालत ने याचिका को अपील के रुप में परिवर्तित करने का आदेश रजिस्ट्री को दिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 1अगस्त को नियत की है।
विदित हो कि लखनऊ की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने 30 सितंबर 2020 को फैसला सुनाते हुए विवादित ढांचा विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, लोक सभा सदस्यों - साक्षी महाराज, लल्लू सिंह व बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया था।
याचिका में कहा गया है कि दोनों याची इस मामले में न सिर्फ गवाह थे, बल्कि घटना के पीड़ित भी हैं। उन्होंने विशेष अदालत के समक्ष अर्जी दाखिल कर खुद को सुने जाने की मांग भी की थी, लेकिन विशेष अदालत ने उनके प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। याचियों का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार के दबाव में सीबीआइ ने सत्र अदालत के फैसले के विरुद्ध अपील दाखिल नहीं की, जबकि कई मुस्लिम संगठनों ने सीबीआई से अपील दाखिल करने का अनुरोध किया था।
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