राज एक्सप्रेस। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे किया जा रहा है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम ने अत्याधुनिक उपकरणों के साथ इस कार्य को अंजाम दे रही है। ASI की टीम को सर्वे की रिपोर्ट 4 अगस्त 2023 तक वाराणसी कोर्ट को सौंपनी है। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे से नाराज है। उसने इस सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि वाराणसी कोर्ट ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी के वजूस्थल को छोड़कर पूरे परिसर का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था। तो चलिए जानते हैं कि ASI सर्वे क्या होता है और इसे किस तरह से अंजाम दिया जाता है?
दरअसल ASI यानि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग केंद्र सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय के अधीन काम करता है। इसका काम देश की पुरातन और राष्ट्रीय स्मारकों का संरक्षण करना है। ASI की टीम सर्वे के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है। इस सर्वे के जरिए बिना खुदाई करे दीवारों और जमीन के अंदर का सच बाहर लाया जाता है। GPR तकनीक से जमीन के 15 मीटर नीचे तक की जानकारी आसानी से मिल जाती है।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन के अनुसार सर्वे के दौरान ASI की टीम आगे-पीछे सीधी रेखाओं में चलती है। इस दौरान टीम अतीत की मानवीय गतिविधियों के सबूतों को इकट्ठा करती है। इसमें दीवार, कलाकृतियों और मिट्टी के रंग जैसी चीजों का खास ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए दीवारों और जमीन के भीतर की चीजों की सच्चाई का पता लगाया जाता है।
दरअसल हिन्दू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर के भीतर गुंबद के नीचे ठोकने पर अजीब आवाज आ रही है। उनका कहना है कि इस जमीन के नीचे मूर्तियां हो सकती हैं, जिन्हें दीवार बनाकर ढंक दिया गया है। ऐसे में पता लगाया जाएगा कि जमीन के नीचे क्या है। इसके अलावा यह भी पता लगाया जाएगा कि कथित मस्जिद कब बनाई गई थी। क्या इसे समतल जमीन पर बनाया गया था या फिर किसी मंदिर को तोड़कर इसका निर्माण किया गया था। ASI की टीम यह भी पता लगाने की कोशिश करेगी कि ज्ञानवापी के तीनों गुम्बदों को कब बनाया गया था।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।