हाइलाइट्स-
ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला।
मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका।
ज्ञानवापी मामले को लेकर उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई पर वकील विजय शंकर रस्तोगी ने दिया बयान।
वाराणसी, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच स्वामित्व को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिकाएं खारिज कर दी है। यह फैसला जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सुनाया है।
बता दें कि, वाराणसी अदालत के समक्ष दायर मुकदमे में तर्क दिया गया है कि, मस्जिद, मंदिर का हिस्सा है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वाराणसी की अदालत में लंबित वाद के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील दायर की है, यह कहते हुए कि विवादित स्थल पूजास्थल अधिनियम से निषिद्ध है।
अशोक कुमार सिंह ने कही यह बात:
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि, "यह फैसला ऐतिहासिक फैसला है क्योंकि सभी पक्षों को यह कहा गया है कि मामले को 6 महीने में निस्तारित किया जाए और याचिकाओं को खारिज किया है। अगर एक पक्ष पीड़ित है तो उसके लिए ऊपर की अदालत खुली है।"
वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया:
वहीं, ज्ञानवापी मामले को लेकर उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई पर वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि, "मुस्लिम पक्ष की तरफ से जो याचिकाएं दाखिल की गई थी उन्हें खारिज कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को 6 महीने के अंदर मामले में अंतिम फैसला सुनाने को कहा है। वजूखाने का सर्वे भी होगा।"
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