दिल्ली, भारत। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा आज बुधवार को केन-बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना के वित्त पोषण और कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में हाल ही में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ.एल.मुरुगना ने प्रेस वार्ता कर जानकारी दी है।
इस परियोजना को 8 वर्ष में पूरा किया जाएगा :
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर प्रेस वार्ता के दौरान बताया- केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दी है। 44,605 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले केन बेतवा नदियों को जोड़ने वाली इस परियोजना को 8 वर्ष में पूरा किया जाएगा। इस राष्ट्रीय परियोजना में केंद्र सरकार का योगदान 90% होगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को 2024 तक जारी रखने का निर्णय किया गया, जिसमें 2,17,257 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत आंकलन किया गया था कि 2 करोड़ 95 लाख लोगों को पक्के मकान की ज़रूरत है शेष परिवारों के पक्के मकान बनाने के लिए इस योजना को 2024 तक जारी रखने की मंजूरी दी गई। केन-बेतवा नदियों को जोड़ने की परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर रकबे की वार्षिक सिंचाई हो सकेगी, लगभग 62 लाख की आबादी को पीने का पानी मिलेगा तथा 103 मेगावॉट जलविद्युत और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा होगी।
केन-बेतवा लिंक परियोजना की कुल लागत :
बता दें कि, केन-बेतवा लिंक परियोजना की कुल लागत 2020-21 के मूल्य स्तरों पर 44,605 करोड़ रुपये आंकी गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परियोजना के लिए 39,317 करोड़ रुपये के केंद्रीय समर्थन को मंजूरी दी है, जिसमें 36,290 करोड़ रुपये का अनुदान और 3,027 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है।
यह परियोजना भारत में नदी परियोजनाओं को और अधिक जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगी और दुनिया को हमारी सरलता और दूरदृष्टि को भी प्रदर्शित करेगी।
इस परियोजना में दौधन बांध के निर्माण और दो नदियों को जोड़ने वाली नहर, लोअर ओरर परियोजना, कोठा बैराज-और बीना कॉम्प्लेक्स बहुउद्देशीय परियोजना के माध्यम से केन से बेतवा नदी में पानी का हस्तांतरण शामिल है।
यह परियोजना 10.62 लाख हेक्टेयर की वार्षिक सिंचाई, लगभग 62 लाख की आबादी को पेयजल आपूर्ति प्रदान करेगी और 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी उत्पन्न करेगी। परियोजना को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ 8 वर्षों में कार्यान्वित करने का प्रस्ताव है।
इस परियोजना से MP और UP के राज्यों में फैले बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी से अत्यधिक लाभ होगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिलों और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को भारी लाभ मिलेगा।
इस परियोजना से कृषि गतिविधियों में वृद्धि और रोजगार सृजन के कारण पिछड़े बुंदेलखंड क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह इस क्षेत्र से संकटपूर्ण प्रवास को रोकने में भी मदद करेगा।
यह परियोजना व्यापक रूप से पर्यावरण प्रबंधन और सुरक्षा उपायों का भी प्रावधान करती है। इस उद्देश्य के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा एक व्यापक परिदृश्य प्रबंधन योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
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