राज एक्सप्रेस। देश में दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर पिछले 58 दिनों से लगातार चल रहे किसान आंदोलन में गणतंत्र दिवस के मौके पर जो हिंसक प्रदर्शन किया गया, वह काफी शर्मसार कर देने वाला था। किसानों न केवल ट्रैक्टर रैली के दौरान नियमों को तोड़ा साथ ही हिंसक प्रदर्शन भी किया। बहरहाल राहत की खबरें यह है कि, आज इस आंदोलन से किसानों के दो संगठनों ने खुद को अलग कर लिया है। साथ ही यह आंदोलन अब खत्म हो गया है। किसानों ने महीनों से लगे हुए तंबू हटा लिए हैं और फिलहाल पुलिस रास्ते में लगीए अवरोधों को हटाने का काम कर रही है।
हिंसा में किसान शामिल नहीं :
दरअसल, गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा को लेकर पुलिस एक्शन में नजर आई। इसी के चलते दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 37 किसान नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज की। इसके बाद किसान संगठनों में भी दो फाड़ हो गए। इसी कड़ी में आज दो किसान संगठनों ने खुद को इस आंदोलन से अलग करते हुए इस आंदोलन को खत्म करने का ऐलान किया। इन किसान संगठनों का कहना है कि, 'कल हुई हिंसा में किसान शामिल नहीं थे। हिंसा करने वाले लोग असमाजिक तत्व थे और उनका इस किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है।'
किसान संगठनों ने किया खुद को अलग :
भारत में गणतंत्र दिवस पर हुए शर्मनाक वाक्ये के बाद किसान संगठन खुद को निर्दोष बताते हुए जहां सफाइयां पेश कर रहे हैं। वहीं, इसी बीच 'भारतीय किसान यूनियन' (भानु) और 'राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन' ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ 58 दिनों से दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है। साथ ही इस आंदोलन करने का ऐलान भी किया। इस मामले में दोनों ही संगठन के अध्यक्ष ने अपनी अपनी सफाई पेश की है।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष का कहना :
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि, 'गणतंत्र दिवस के मौके पर कल दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उससे वे बहुत दुखी हैं। उनका शांतिपूर्ण आंदोलन अचानक हिंसक आंदोलन में बदल गया। साथ ही वे अपना आंदोलन खत्म कर रहे हैं।'
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष का कहना :
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने भी अपना किसान आंदोलन खत्म करने का ऐलान करते हुए कहा कि, 'आंदोलन खत्म करने का अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) का नहीं बल्कि राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन का फैसला है। वे किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन के साथ आंदोलन नहीं कर सकते जिसकी दिशा अलग हो।'
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