राज एक्सप्रेस। "सत्ता का तो खेल चलेगा, सरकारें आयेंगी जाएंगी, पार्टियां बनेगी बिगड़ेगी मगर यह देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए" यह वाक्या मई 1996 में लोक सभा सदन के भीतर उस समय बोला गया था, जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी की देश में पहली सरकार सिर्फ 13 दिन के अंदर गिर गई थी, वो भी सिर एक वोट से।1996 में कही गई यह वाणी देशवासियों के ज़हन में आज भी जीवित है, क्योंकि इन शब्दों को कहने वाला शख्स देश का दसवां प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी था, जिसकी सरकार सिर्फ एक वोट की वजह से गिर गई थी। आज हमारे उसी कविता वाचक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 98वां जन्मदिवस हैं।
2015 में दिया गया भारत रत्न :
नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2014 में घोषणा की थी कि वाजपई के जन्मदिन, 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में चिह्नित किया जाएगा। 2015 में वाजपेयी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
अटल बिहारी वाजपेयी के शुरुआती दिन :
25 दिसंबर, 1924 में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी मध्यप्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले थे। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक सरकारी स्कूल में अध्यापक थे और मां का नाम कृष्णा देवी था। अटल ने 14 साल की उम्र से ही स्वयंसेवक का कार्य अपना लिया था, जिसके लिए वह 1939 में राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ RSS से जुड़े।1947 आते तक वह आरएसएस के प्रचारक बन चुके थे।अटल ने आगे जाकर दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ काम किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में अपनी नई पार्टी भारतीय जन संघ का गठन किया था। आरएसएस ने दीनदयाल उपाध्याय के साथ अटल को भारतीय जन संघ से जुड़ने को कहा, क्योंकि पार्टी आरएसएस से जुड़ी हुई थी। अटल को पार्टी के उत्तरी क्षेत्र का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया था, जिसमेंं अटल ने तब श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ काम किया।
1957 में पहली बार लड़ा लोक सभा चुनाव :
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अटल को लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था, जिसमें अटल को उत्तर प्रदेश के मथुरा और बलरामपुर सीट से टिकट दी गई थी। अटल ने बलरामपुर सीट को जीत लिया, लेकिन मथुरा सीट वह हार गए। लोक सभा सदन में सांसद बनकर अटल ने सरकार से तीखे सवाल किए। अटल के वक्तव्य कौशल को देख कर तब के प्रधानमंत्री नेहरू ने अटल को प्रभावशाली माना था। 1968 में दीनदयाल उपाध्याय के मृत्यु के बाद उन्हे जन संघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
1977 में बने विदेश मंत्री :
1977 के आम चुनाव के बाद जनता पार्टी देश में अपनी सरकार बनाती है और इंदिरा गांधी की इमरजेंसी हटने के बाद करारी हार होती है। जनता पार्टी की मोराजी देसाई की सरकार में अटल को भारत का विदेश मंत्री बनाया गया था। 1977 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (UNSC) में हिंदी भाषण देने वाले पहले व्यक्ति बने।
1980 में भाजपा का गठन :
जन संघ में फुट आने के कारण अटल ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया था। पार्टी का ऑफिस ग्वालियर में रखा गया था। 1984 के चुनाव में अटल ग्वालियर की सीट से चुनाव लड़े, जिसमे उनको ग्वालियर के माधवराव सिंधिया ने हराया था।
1996 में पहली बार बनी सरकार 13 दिन के अंदर गिरी :
भाजपा 1996 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों को जीतने वाली पार्टी बनती है, लेकिन बहुमत नहीं था। भाजपा ने 161 सीटें जीती थी। अटल बिहारी वाजपई ने कांग्रेस को छोड़ बाकी सभी विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई और भारत के दसवें प्रधानमंत्री बने लेकिन 13 दिन के अंदर ही उनकी सरकार गिर गई।
1998 में दोबारा बनी सरकार 13 महीनो में गिर गई :
1998 के आम चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में NDA ने सबसे ज्यादा सीटें जीत सरकार बनाई और अटल वापिस प्रधानमंत्री बनाए गए थे, लेकिन 13 महीनों के बाद 1999 के मध्य में जयललिता की पार्टी AIADMK ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से अपना समर्थन वापिस ले लिया और सरकार दूसरी बार गिर गई।
1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री :
मई 1999 के कारगिल युद्ध में जीत के बाद 1999 के आम चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ने पहली बार बहुमत का आंकड़ा पार किया। 303 सीटों के साथ भाजपा ने सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और इस बार अटल ने अपना पूरा टर्म कंप्लीट किया।
अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के सबसे बड़े काम-
एक प्रधानमंत्री के काम को गिनना कोई आसान कार्य नहीं है, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में ऐसे कार्य हुए जिसमें भारत की दिशा बदलने का काम किया था।
पोखरण में प्रमाणु बॉम्ब की टेस्टिंग: मई 1998 में राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में 5 प्रमाणु बॉम्ब की खुफिया टेस्टिंग करी गई थी। इस टेस्टिंग के बाद ही भारत को एक न्यूक्लियर स्टेट का दर्जा प्राप्त हुआ था। भारत के विरोध में अमेरिका,जापान, कनाडा और ब्रिटेन जैसे बड़े देश खड़े हुए थे और भारत पर सूचना,संसाधनों और प्रौद्योगिकी प्रतिबंध भी लगाए थे लेकिन अटल बिहारी वाजपई ने उसका डट कर सामना किया था। 6 महीनों के बाद इस प्रतिबंध को हटा दिया गया था।
कारगिल युद्ध: युद्ध के दौरान, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार भारतीय सशस्त्र बलों के पीछे मजबूत और लंबे समय तक खड़ी थी, जिन्होंने ऑपरेशन विजय (भारतीय सेना द्वारा) और ऑपरेशन सफ़ेद सागर (भारतीय वायु सेना द्वारा) लॉन्च किया था। 02 जुलाई, 1999 को, अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने बुलाया था, जिसमें उन्होंने लड़ाई को समाप्त करने और कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए तत्काल अमेरिकी कार्रवाई की अपील की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति इस बात पर अड़े थे कि, उनकी सहायता के लिए पाकिस्तान को LOC से हटना होगा। फोन पर राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधान मंत्री वाजपेयी के साथ भी बातचीत की, जहां पीएम ने कहा कि, वह जबरदस्ती बातचीत नहीं करेंगे, और एलओसी से वापसी आवश्यक थी।
सर्व शिक्षा अभियान: सर सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार का एक प्रमुख अभियान है, जिसकी शुरूआत 2001 मे अटल बिहारी वाजपेई द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण जैसा कि भारतीय संविधान के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना था।
भारतीय दूरसंचार उद्योग का उदय: उनकी सरकार ने नई दूरसंचार नीति के तहत एक राजस्व-साझाकरण मॉडल पेश किया, जिसने दूरसंचार कंपनियों को निश्चित लाइसेंस शुल्क से दूर होने में मदद कीसेवाओं और नीतियों के संचालन के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड को अलग से बनाया गया थादूरसंचार क्षेत्र को और बढ़ाने के लिए, उन्होंने दूरसंचार विवाद निपटान अपीलीय न्यायाधिकरण बनाया अंतर्राष्ट्रीय टेलीफोन सेवा विदेश संचार निगम लिमिटेड को समाप्त कर दिया गया
विज्ञान और अनुसंधान: वाजपेयी ने चंद्रयान-1 प्रोजेक्ट पास किया था भारत के 56वें स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने कहा, "हमारा देश अब विज्ञान के क्षेत्र में ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत 2008 तक चंद्रमा पर अपना खुद का अंतरिक्ष यान भेजेगा। इसे चंद्रयान नाम दिया जा रहा है।" वाजपई ने भारत को परमाणु संपन्न देश बनाया। 1998 में, भारत ने एक सप्ताह में पांच परमाणु परीक्षण किए।
दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखरी सांस :
अटल बिहारी वाजपाई 2004 में अपनी हार के बाद से राजनीति से कटे हुए रहने लगे थे। फिर महज एक साल बाद 29 दिसंबर 2005 को उन्होंने सक्रिय राजनीति से मुंबई के एक कार्यक्रम के दौरान सक्रिय राजनीति से सन्यास की घोषणा कर दी थी, जिससे कार्यक्रम में बैठे लोग हैरान हो गए थे। अपने आखिर भाषण में उन्होंने कहा था "मैं परशुराम की तरह राज्याभिषेक के प्रसंग से अब अपने को अलग कर लेता हूं, अब मैं चुनाव नहीं लडूंगा। मैं काम करूंगा लेकिन सत्ता की राजनीति नहीं करूंगा।" 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उमर में नई दिल्ली के AIIMS में अपनी आखरी सास ली।
गीत नया गाता हूं :
अटल बिहारी वाजपई कविता लिखा और बोला करते थे। उन्हे कविता करने का बहुत शौक था। वाजपई की एक सबसे चर्चित कविता से ही बाजपाई के जन्मदिन याद किया जाना चाहिए।
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं
गीत नया गाता हूं।
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी
अंतर को चीर
व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं।
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