लागत के अनुपात में दूध का दाम निर्धारित हो : बालयान Social Media
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लागत के अनुपात में दूध का दाम निर्धारित हो : बालयान

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री संजीव कुमार बालयान ने आज कहा कि लगातार पशुपालन का लागत खर्च बढ़ रहा है, उस अनुपात में दूध का मूल्य भी बढ़ना चाहिए।

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नई दिल्ली। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री संजीव कुमार बालयान ने आज कहा कि लगातार पशुपालन का लागत खर्च बढ़ रहा है, उस अनुपात में दूध का मूल्य भी बढ़ना चाहिए। श्री बालयान ने विश्व डेयरी सम्मेलन की जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पशुपालन का लागत खर्च लगातार बढ़ रहा है, उस अनुपात में दूध का मूल्य भी बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि पशुपालन के लिए जो जरुरी उत्पाद हैं उसके उत्पादन से किसान भी जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है लेकिन दुनिया की तुलना में प्रति दुधारु पशु दूध उत्पादन काफी कम है। पशुओं में नस्ल सुधार कर दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और इससे उत्पादन लागत भी कम हो सकती है।

उन्होंने कहा कि देश में करीब साढे़ आठ करोड़ परिवार पशुपालन से जुड़े हैं और वे सालाना करीब 21 करोड़ टन दूध का उत्पादन करते हैं जो लगभग साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये मूल्य का है। विश्व में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 310 ग्राम दूध उपलब्ध है जबकि भारत में यह 427 ग्राम तक पहुंच गया है। दुनिया में डेयरी क्षेत्र का विकास दर दो प्रतिशत है जबकि भारत में यह छह प्रतिशत है।

श्री बालयान ने कहा कि ब्राजील में गिर नस्ल की गाय 40 से 50 लीटर दूध प्रतिदिन देती है जबकि देश में देसी नस्ल की गाय औसतन 3.9 लीटर है । संकर नस्ल की गायें सात से आठ लीटर दूध देती हैं। उन्होंने कहा कि नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान पर बढ़ावा दिया जा रहा है और जिन जिलों में 30 प्रतिशत कृत्रिम गर्भाधान है वहां विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पशुओं में मुंहपक खुरपक बीमारी (एफएमडी) की रोकथाम के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है और इसके लिए केन्द्रीय बजट में 1350 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वर्ष 2025 तक इस बीमारी पर काबू पाने तथा 2030 तक इससे मुक्त होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके बाद भारतीय दुग्ध उत्पाद के निर्यात के बढ़ने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड इस अभियान में जुटा है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश, झारखंड और असम में बेहतर काम किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में सूखे और हरे चारे की भारी कमी है और साइलेज के माध्यम से इस कमी को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। साइलेज उत्पादन के लिए सब्सिडी दी जा रही है।

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