राजनीति में व्यक्ति विशेष के प्रति निष्ठा के मायने Priyanka Yadav -RE
भारत

राजनीति में व्यक्ति विशेष के प्रति निष्ठा के मायने

सैद्धांतिक रूप से लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में विभिन्न राजनीतिक दल अपनी-अपनी नीति के आधार पर सक्रिय...

Author : राजेंद्र बज

राज एक्सप्रेस। सैद्धांतिक रूप से लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में विभिन्न राजनीतिक दल अपनी-अपनी नीति के आधार पर सक्रिय होते हैं। लेकिन व्यावहारिक रूप से देखा गया है कि अधिकांश स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के राजनेता व्यक्ति विशेष की मन:स्थिति के अनुरूप अपनी राजनीतिक भूमिका सुनिश्चित करते हैं। एक प्रकार से सक्रिय राजनीति में व्यक्ति विशेष के प्रति निष्ठा, राजनीतिक भविष्य को सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है। राजनीतिक जमावट का ताना-बाना बुनने में ऐसी व्यक्ति विशेष पर निर्भरता लोकतंत्र की स्वाभाविक अवधारणा के विपरीत है। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति हेतु व्यक्ति विशेष के प्रति श्रद्धा और समर्पण का अतिरेक, उचित-अनुचित का भेद भी नहीं कर पाता। ऐसे में इन राजनीतिज्ञों से व्यापक जनहित के प्रति समर्पित भूमिका की अपेक्षा नहीं की जा सकती। प्रकारांतर से यह सिलसिला लोकतंत्र में एकतंत्र के चलन का स्पष्ट संकेत देता है।

दलीय नीति और सिद्धांतों के प्रति गहन निष्ठा, सराहनीय एवं अनुकरणीय है। लेकिन व्यक्ति विशेष की मन:स्थिति पर आधारित निष्ठा पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया जा सकता है। वर्तमान दौर की राजनीति में लगभग हर एक राष्ट्रीय नेता के प्रादेशिक कट्टर समर्थक हैं, प्रत्येक प्रादेशिक नेता के अलग-अलग क्षेत्रों में कट्टर अनुयायी हैं और अलग-अलग क्षेत्र के नेताओं के व्यक्तिगत स्थानीय समर्थक सक्रिय हैं। कड़ी से कड़ी जब मिलती है तब मिलने वालों को राजनीति का प्रसाद स्वाभाविक रूप से मिल जाया करता है। इसके लिए उन्हें कहीं भटकने की या कहीं और फरियाद करने की कतई कोई आवश्यकता नहीं होती। पहले यह सिलसिला परिवार विशेष के प्रति विशेष आसक्ति भाव के परिणामस्वरूप चलन में आया। कालांतर में लगभग प्रत्येक राजनीतिक दल में यह सिलसिला निरंतर परवान चढ़ता रहा। अब तो आम नागरिक भी सीधे-सीधे अर्थों में गणित लगा सकते हैं कि किसका समय आने पर किन-किन का समय आ आने वाला है ?

सामान्य बोलचाल की भाषा में व्यक्तिगत निष्ठा को गुटबाजी के नाम से जाना पहचाना जाता है। गुटबाजी में सामूहिक नेतृत्व होता है, लेकिन व्यक्ति विशेष के प्रति निष्ठा सीधे-सीधे अर्थों में गुटबाजी नहीं कही जा सकती। दरअसल गुटबाजी समूह की सूचक है किंतु व्यक्तिगत निष्ठा को हम अंध समर्थन कह सकते हैं। जो जिनका पक्का अनुयायी होता है वह अपना विवेक उपयोग में लाएं, यह कतई आवश्यक नहीं होता। राजनीति की प्रचलित शब्दावली में व्यक्तिगत निष्ठा को भक्त या भक्ति के रूप में विभक्त कर दिया गया है। बहरहाल जो भी हो लेकिन एक बात तो निश्चित है कि राजनीति में कड़ी से कड़ी मिलाकर महत्वपूर्ण पद पाने का अभियान सफल सिद्ध होता रहा है। अपने-अपने समर्थकों की जमावट के आधार पर अलग-अलग स्तर के नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करते रहे हैं। लगभग हर एक राजनीतिक दल में ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। इस स्थिति को लोकतंत्र की परिपक्वता के रूप मे परिभाषित नहीं किया जा सकता।

बेहतर हो यदि स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक के नेता लोकतंत्र में राजनीति की गंभीरता को समझने का प्रयास करें। नेता विशेष के प्रति समर्पण का अंधानुकरण विवेक शून्य मस्तिष्क का परिचायक है। भक्त समूह को चाहिए कि विषय विशेष को लेकर अपने निष्पक्ष वैचारिक दृष्टिकोण के अनुसार अंतरात्मा की आवाज पर अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। सक्रिय राजनेता चाहे जिस स्तर पर राजनीति किया करते हो, उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि अपनी तर्कशक्ति को जागृत रखें। अन्यथा नेतृत्व को उसके द्वारा की जा रही गलतियों का अहसास नहीं कराया जा सकेगा। यह ठीक है कि व्यक्ति विशेष पर हमारा अटल विश्वास अकारण नहीं होता, लेकिन जब समाज व राष्ट्र का प्रश्न हो तब हमें विवेक का उपयोग तो अवश्य करना ही चाहिए। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की खातिर व्यक्ति निष्ठा को नीति और सिद्धांतों के प्रति निष्ठा में परिवर्तित करना जरूरी है।

सार्वजनिक जीवन में प्रत्येक स्तर के नेता को विभिन्न विषयों पर गहन वैचारिक मंथन उपरांत अपना राजनीतिक अभिमत बनाना चाहिए। पूर्वाग्रह से सर्वथा मुक्त स्पष्ट तथा निष्पक्ष सोच के आधार पर राजनीतिक सक्रियता निश्चित ही अपेक्षित परिणाम देती है। जहां तक आम नागरिकों का प्रश्न है, उनका नेतृत्व के प्रति विश्वास सहज स्वाभाविक हो सकता है। लेकिन राजनीतिक जीवन में सक्रिय शख्सियत का व्यक्ति विशेष की भूमिका पर आश्रित हो जाना, किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। इतना जरूर है कि जैसे-जैसे आम नागरिकों की तर्कशक्ति में वृद्धि होती जा रही है, वैसे-वैसे देश-प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का दौर भी चल रहा है। ऐसे में केवल नीति और सिद्धांतों पर आधारित राजनीति का भविष्य उज्जवल कहा जा सकता है। व्यक्ति विशेष पर निर्भरता के चलते राजनीतिक सक्रियता को व्यापक जनहित के प्रति भुनाया जा सकना, इतना आसान भी नहीं होता। किंतु सैद्धांतिक आधार पर व्यक्ति विशेष का समर्थन व्यापक जनहित का मार्ग प्रशस्त कराने की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT