राज एक्सप्रेस। भारत के विकलांगों की स्थिति को समझने के लिए एनएसओ यानि नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस ने एक सर्वे किया।
यह रिपोर्ट साल 2018 के विकलांगों की स्थिति का विश्लेषण कर जारी की गयी है। रिपोर्ट में इस वर्ग की संख्या, साक्षरता, रोज़गारी आदि पहलुओं पर ध्यान दिया गया है। यह सर्वे देश के कुल 1.8 लाख घरों में किया गया है।
सर्वे के अनुसार पिछले साल भारत की 2.2 प्रतिशत आबादी विकलांगता से जूझ रही थी। विकलांग वर्ग में पुरूषों की संख्या महिला की संख्या से अधिक पाई गई।
क्या है NSO
एन.एस.ओ. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय का एक प्रकार है। साल 2018 के जुलाई से दिसंबर माह के बीच एनएसओ ने देश के विकलांगों पर सर्वे किया था, जिसकी रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की। यह सर्वे 76वें नेशनल सेंपल सर्वे का हिस्सा है। सर्वे इससे पहले 2002 में किया जा चुका है।
ग्रामीण इलाकों में विकलांगों की संख्या
सर्वे में ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के विकलांगों की संख्या का विवरण किया गया है। ग्रामीण इलाकों में विकलांगों की संख्या ज्यादा है। यहां विकलांगों की संख्या 2.2 - 2.3 प्रतिशत थी, जबकि शहरों में 2 प्रतिशत।
पुरूषों विकलांगता प्रतिशत अधिक
सर्वे बताता है कि महिलाओं की तुलना में पुरूषों का विकलांग प्रतिशत ज्यादा है। महिला विकलांग जहाँ 1.9 प्रतिशत हैं, वहीं पुरूष विकलांग का प्रतिशत 2. 4 है।
विकलांगो की साक्षरता दर
विकलांगों की साक्षरता दर को मापने के लिए उन्हें अलग- अलग उम्र समूह में बांटा गया है। 7 या उससे अधिक उम्र के विकलांगों की साक्षरता दर 52.2 थी। 15 या उससे अधिक उम्र के विकलांगों में 19.3 प्रतिशत हाई सेकेंड्री या उसे अधिक स्तर तक पढ़ाई कर चुके हैं और 3 से 35 की उम्र के विकलांगों में सिर्फ 10.1 प्रतिशत ऐसे लोग थे जो प्री- स्कूल कार्यक्रम में शामिल हुए हैं।
इस वर्ग को सरकारी मदद
3.7% विकलांग आत्मनिर्भर हैं और अकेले रहते हैं। 62.1% विकलांगो की देखभाल करने के लिए केयर टेकर हैं। 21.8% लोगों को सरकार से सहायता मिलती थी, वहीं 1.8% विकलांगों की निजी संस्थान सहायता कर रही थी।
पीछले साल के विश्लेषण में सामने आया कि, सिर्फ 28.8 ने माना है कि उनके पास विकलांगता सर्टिफिकेट है।
नौकरी में स्थिति
15 साल या उससे अधिक उम्र समूह की बात करें तो, श्रम बल भागीदारी दर विकलांगों में 22.8 प्रतिशत थी। वहीं बेरोजगारी दर 15 और उसे अधिक व्यक्तियों में 4.2 प्रतिशत थी।
सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य अपंगता, कारण, विकलांग व्यक्तियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं, सार्वजनिक भवन / विकलांगों के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग / उपयोग करने में उनके सामने आने वाली कठिनाइयों, नियमित देखभाल दाता की व्यवस्था का अनुमान लगाना आदि था।
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