दिल्ली, भारत। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन करते-करते कई महीने बीत चुके है, लेकिन वे अपनी मांग को पूरा करवाने के लिए अड़े ही हुए है और अब सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत ने याचिका दाखिल कर जंतर-मंतर पर सत्याग्रह की अनुमति मांगी। इस याचिका पर आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को जमकर फटकार लगाते हुए रेल एवं सड़क मार्ग बाधित करने और ट्रैफिक में बाधा पहुंचाने के मुद्दे पर तल्ख टिप्पणी दी है।
विरोध कर रहे किसानों ने पूरे शहर का गला घोंट दिया :
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा- लंबे समय से विरोध कर रहे किसानों ने पूरे शहर का गला घोंट दिया है और अब शहर के अंदर आकर उत्पात मचाना चाहते हैं। क्या शहर के लोग अपना कारोबार बंद कर दें या आपके प्रदर्शन से लोग खुश होंगे। आप ट्रेन रोकते हैं। सड़क रोकते हैं। अगर आप कोर्ट आए हैं तो कोर्ट पर विश्वास करें। प्रोटेस्ट का क्या मतलब है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा- एक बार कानूनों को अदालतों में चुनौती देने के बाद विरोध करने वाले किसानों को विरोध जारी रखने के बजाय व्यवस्था और अदालतों में अपना विश्वास करना चाहिए। आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक कर लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं।
किसान महापंचायत हलफनामा करें दायर :
सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया कि, ''प्रदर्शन कर रहे किसान यातायात में बाधा पहुंचा रहे हैं और ट्रेनों एवं राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करके विरोध प्रदर्शन जारी रखा जा रहा है।'' कोर्ट ने किसान महापंचायत से सोमवार को हलफनामा दायर करने के साथ ही याचिका की प्रति केंद्रीय एजेंसी और अटॉर्नी जनरल को देने का भी आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता किसान महापंचायत संगठन से कहा- पहले आप हलफनामा दायर कर बताए कि फिलहाल सीमाओं पर बैठे प्रदर्शकारियों से आपका कोई संबंध तो नहीं है। अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
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