भोपाल, मध्यप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ का निर्णय पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को घटना के समय नाबालिग मानते हुए फांसी की सजा से मुक्त करते हुए रिहा करने के आदेश दिए है।
जानकारी के अनुसर धार जिले में रहने वाले एक युवक को पुलिस ने चार साल की बच्ची के रेप और हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश किया था, कोर्ट में उसे 17 मई 2018 को मौत की सज़ा सुनाई थी। आरोपी ने अपने वकील के माध्यम से मप्र हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में अपील की। अपील की सुनवाई के बाद इंदौर पीठ ने 15 नवंबर 2018 को ट्रायल कोर्ट के निर्णय यथावत रखा। मप्र हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के निर्णय को आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। आरोपी के वकील ने बताया कि घटना के वक्त उसका पक्षकार नाबालिग था। इस संबध में आरोपी के वकील ने उसके जन्म संबधी दस्तावेज भी कोर्ट में प्रस्तुत किए। सुप्रीम कोर्ट ने दस्तावेज और अन्य सक्ष्यों के आधार पर माना कि आरोपी नाबालिग है और उसका जन्म 25 जुलाई 2002 को हुआ है। घटना के समय (15 दिसंबर 2017) को उसकी उम्र 15 साल थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि चूंकि आरोपी घटना के समय नाबालिग था तो उसे फांसी और आजीवन कारावास की सजा नहीं दी जा सकती है। आरोपी को बाल सुधार गृह में रखा जा सकता है। आरोपी पहले ही पांच साल तक बाल सुधार गृह में रहा है इसलिए उसे रिहा किया जाए।
पांच साल पहले किया था चार साल की बच्ची का रेप और हत्या
पुलिस के अनुसार मध्यप्रदेश के धार जिले में 15 दिसंबर 2017 को चार साल की बच्ची के परिवार ने थाने पहुंचकर उसकी गुमशुदगी की शिकयत दर्ज की थी। परिजनों ने बताया था कि बच्ची घर के बाहर अन्य बच्चों के साथ खेल रही थी, उसके बाद अचानक लापता हो गई। 16 दिसंबर, 2017 को बच्ची का शव घर के पास ही मिला था। पुलिस ने इस मामले में रेप और हत्या का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की थी। पुलिस की जांच में वहीं रहने वाले एक युवक पर संदेह होने पर उसे हिरासत में लेकर पूदताछ की गई थी। पुलिस ने बताया कि इस युवक ने ही बच्ची का रेप कर पत्थर से सर कुचलकर हत्या की है। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया।
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