Same-Sex Marriage Case : पिछले सालों में भारत में समान लिंग के लोगों को अपनी मर्जी से साथ रहने की आजादी दे दी गई थी। वहीं, अब यह मामला समान लिंग के लोगों को शादी करने की कानूनी मान्यता देने को लेकर फिर चर्चा में नजर आ रहा है। इस मामले में आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई :
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। पांच जजों की इस संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसआर भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। जो इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान इन याचिकाओं पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि, 'इस मामले में सरकार का पक्ष सुना जाना चाहिए।'
सॉलिसिटर जनरल का कहना :
कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया है कि, 'केंद्र ने इस मामले में याचिका दायर कर कोर्ट में इस मामले पर विचार पर भी आपत्ति जताई है।' वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, 'समलैंगिक विवाह पर संसद को फैसला लेने दीजिए। इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इंचार्ज हैं और हम तय करेंगे कि किस मामले पर सुनवाई करनी है और किस तरह करनी है। हम किसी को भी इजाजत नहीं देगे कि वह हमें बताएं कि सुनवाई करनी है या नहीं। सॉलिसिटर जनरल की दलील पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम आने वाले चरण में केंद्र की दलील भी सुनेंगे।'
कोर्ट का कहना :
कोर्ट ने कहा कि, 'हम इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि, इस मामले में विधायिका का एंगल भी शामिल है। हमे इस मामले में कुछ तय करने के लिए सबकुछ तय करने की जरूरत नहीं है।'
याचिका में की गई मांग :
याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि, 'समलैंगिकों में एकजुटता के लिए शादी की जरूरत है।'
याचिका में एक दूसरी याचिकाकर्ता की मांग है कि, 'समलैंगिक समुदाय के लोगों को उनके दिन प्रतिदिन के अधिकारों जैसे बैंक खाता खुलवाने आदि में परेशानी का सामना करना पड़ता है। समलैंगिकों के विवाह को कानूनी मान्यता देने से इस तरह की परेशानियां दूर होंगी।'
संविधान पीठ का कहना :
सुनवाई करते हुए संविधान पीठ ने कहा कि, 'साल 2018 के धारा 377 के नवतेज मामले से आज तक हमारे समाज में समलैंगिक संबंधों को लेकर काफी स्वीकार्यता बढ़ी है और यह एक बड़ी उपलब्धि है। एक विकसित भविष्य के लिए व्यापक मुद्दों को छोड़ा जा सकता है।'
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