राज एक्सप्रेस। देश में कृषि बिल के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। किसानों ने सरकार के सामने सात शर्तें रखी थीं। इस पर सरकार किसानों से बात करने के लिए तैयार हो गई थी। वहीं, सोमवार को सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में 7वें दौर की बातचीत हुई। वहीं, अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का नाम भी जुड़ चुका है। प्रदर्शन कर रहे किसानों के मामले पर होने वाली सुनवाई को अब सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई :
दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए कृषि बिल के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। आज इस आंदोलन का 42वां दिन है। हाल ही में नए कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को लेकर कुछ वकीलों ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, 'हम किसानों की स्थिति को समझ रहे हैं। इस मामले पर अब सुनवाई 11 जनवरी यानि आने वाले सोमवार को की जाएगी।'
सुप्रीम कोर्ट में सबने रखी अपनी राय :
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने इस मामले पर बात करते हुए कहा कि, 'हमें हालात में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है।'
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, 'हम बात कर रहे हैं।'
वहीं, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि, 'हमें उम्मीद है कि, दोनों पक्ष किसी मुद्दे पर सहमत हो जाएंगे।'
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, 'हम इस बात से बाकिफ हैं और चाहते हैं कि बातचीत और आगे बढ़ें।'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि, 'इस मामले पर कोर्ट में सुनवाई होने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है।'
इस पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि, 'हम सोमवार को इस मामले को देखेंगे और अगर बातचीत सकारात्मक रही तो हम सुनवाई को टाल देंगे।'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि, 'सरकार और किसानों के बीच ‘‘सौहार्दपूर्ण वातावरण’’ में बातचीत जारी है। इन याचिकाओं पर आठ जनवरी को बातचीत नहीं की जानी चाहिए।'
पीठ ने कहा कि, 'हम स्थिति को समझते हैं और बातचीत को प्रोत्साहित करते हैं। हम मामले की सुनवाई को सोमवार 11 जनवरी तक स्थगित कर सकते हैं, अगर आप चल रही बातचीत के संबंध में लिखित में दें।'
गौरतलब है कि, देश में कृषि कानून के मामले में सरकार और किसान दोनों ही अपनी-अपनी जिद पर अड़े हैं। दोनों ही पीछे हटने का तैयार नहीं हैं। किसानों का कहना है कि, जब तक सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं ले लेती और न्यूनत समर्थन मूल्य व्यवस्था बनी रहना सुनिश्चित नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उधर सरकार इस बिल में बस हल्के फुल्के सुधर करने के लिए तैयार है।
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