हाइलाइट्स
ग्रीन एग यॉक मिस्ट्री सुलझी!
पोल्ट्री विशेषज्ञों ने हल की पहेली
अंडे की ज़रदी का रंग हरा क्यों है?
राज एक्सप्रेस। अब तक का सबसे उलझा सवाल होता था पहले मुर्गी आई या अंडा? लेकिन अब केरल की एक मुर्गी ने अपने अंडे के साथ नए सवाल को जन्म दिया है कि; आखिर अंडे की ज़रदी हरी कैसे हो गई?
शिहाबुद्दीन और उसकी मुर्गियों की इन दिनों सोशल मीडिया पर पूछ-परख बढ़ गई है। दरअसल जब से मुर्गी के मालिक शिहाबुद्दीन ने हरे रंग की ज़रदी वाले अंडों से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है तब से ही इस बारे में चर्चा का बाजार गरम है।
ये है अंडे का फंडा -
केरल में रहने वाले व्यक्ति के फार्म में पल रही मुर्गियों के यलो के बजाय ग्रीन कलर्ड यॉक एग यानी पीले की जगह हरे कलर की ज़रदी वाले अंडे सुर्खियां बटोर रहे हैं।
खबरों के रफ्तार पकड़ते ही केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने इस पर पड़ताल की। विशेषज्ञों ने अब यह निर्धारित किया है कि मुर्गियों को दिए गए दाना-पानी या प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पौधे के कारण ज़रदी के रंग में परिवर्तन आया होगा।
ऐसे आया सुर्खियों में -
केरल के मलप्पुरम में रहने वाले एके शिहाबुद्दीन ने कुछ हफ्तों पहले फेसबुक पर हरे रंग के अंडमध्य वाले अंडों की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए थे।
इन वीडियो और फोटो ने कई लोगों को आश्चर्य में डाल दिया। हालांकि शिहाबुद्दीन और उनका परिवार पिछले नौ महीनों से इस घटना का गवाह रहा है। लेकिन जब उन्होंने इस आश्चर्य को लोगों के साथ सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया तो चित्र और वीडियो व्यापक रूप से चर्चा का केंद्र बन गए। आप भी देखिये -
जांच के लिए सैंपल एकत्र -
इसके बाद केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने वीडियो देखने के बाद शिहाबुद्दीन के फार्म का दौरा किया। इन अंडों का फंडा क्या है यह जानने उन्होंने अध्ययन के लिए एक मुर्गी और कुछ अंडे बतौर सैंपल एकत्र किए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पोल्ट्री साइंस विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर एस. शंकरलिंगम का मानना है कि; ऐसा किसी आनुवांशिक बदलाव के कारण नहीं हो रहा है। बकौल डॉ. शंकरलिंगम "हमें दृढ़ता से विश्वास है कि यह पक्षियों को दिए गए फीड के कारण हो रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए फीड के बाद मुर्गियों ने पीले रंग की ज़रदी वाला अंडा देना शुरू कर दिया।"
अपनाया ये तरीका -
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने शिहाबुद्दीन को पोल्ट्री फीड की आपूर्ति की और उसे कहा कि मुर्गियों को बतौर फीड यही भोजन प्रदान किया जाये। इसके बाद नतीजा मात्र दो सप्ताह में ही निकलकर सामने आ गया। अंडों का कलर हरे के बजाय धीरे-धीरे पीला होता गया और अब मुर्गियां फिर से पीले रंग की ज़रदी वाला अंडा देने लग गई हैं।
विश्वविद्यालय में बतौर नमूना लाई गई मुर्गी भी धीरे-धीरे पीले-पीले अंडे देने लगी है। डॉ. शंकरलिंगम ने मीडिया को बताया कि; शिहाबुद्दीन ने फार्म में पल रही मुर्गियों को अलग से कुछ और फीड न देने की जानकारी दी थी।
तो ऐसे में बहुत हद तक संभावना है कि कुछ प्राकृतिक जड़ी-बूटियां जो आमतौर पर केरल में घरों के आस पास ऊग जाती हैं के कारण अंडों की ज़रदी हरी हो गई हो।
शंकरलिंगम के मुताबिक स्थानीय भाषा में पहचानी जाने वाली कुरुन्थोट्टी (सिडा कॉर्डिफ़ोलिया - एक औषधीय जड़ी बूटी) खाने के कारण भी मुर्गी के अंडों की ज़रदी का रंग बदल सकता है। हालांकि ज़रदी का रंग हरा करने वाले कारक का पता नहीं चला है।
डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित खबरों और सोशल मीडिया वीडियो पर आधारित है। शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ कर इसे पठनीय बनाया गया है। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी। पढ़ें राष्ट्रपति की जासूस बकरी
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