हाइलाइट्स :
SC ने सबरीमाला केस 7 जजों की बड़ी बेंच को सौंपा
सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री का फैसला बरकरार
800 साल पुरानी प्रथा में क्या होगा कोई बदलाव
धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश प्रतिबंध सिर्फ सबरीमाला तक सीमित नहीं
राज एक्सप्रेस। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने आज अर्थात 14 नवंबर को विश्व के सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक दक्षिण भारत के केरल में प्रसिद्ध 'सबरीमाला मंदिर' पर यह निर्णय (Sabarimala Temple Verdict) लिया है, जाने क्या है SC का फैसला...
7 जजों की बेंच को भेजा सबरीमाला केस :
सुप्रीम कोर्ट ने आज सबरीमाला केस की दायर पुनर्विचार याचिकाओं को लंबित रखते हुए केस को 7 जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है, कोर्ट में 5 जजों की बेंच को आज इस बारे में फैसला देना था, लेकिन कोर्ट ने इसके व्यापक असर को देखते हुए 3-2 के मत से याचिकाएं बड़ी बेंच को सौंप दी हैं।
पुनर्विचार याचिकाओं पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का यह कहना है-
यह याचिका दायर करने वाले का मकसद धर्म और आस्था पर वाद-विवाद शुरू कराना है। महिलाओं के धार्मिक स्थलों में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध सिर्फ सबरीमाला तक सीमित नहीं, यह दूसरे धर्मों में भी प्रचलित हैं। सुप्रीम कोर्ट को सबरीमाला जैसे धार्मिक स्थलों के लिए एक सार्वजनिक नीति बनानी चाहिए। सबरीमाला, मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश और फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन से जुड़े धार्मिक मुद्दों पर बड़ी बेंच फैसला करेगी।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई
बता दें कि, 800 साल पुरानी प्रथा के अनुसार, सबरीमाला मंदिर में रजस्वला स्त्री मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं, उन्हें भगवान आयप्पा के दर्शन करने का अधिकार नहीं है, सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही भगवान के दर्शन कर सकती हैं।
अदालत ने 28 सितंबर, 2018 को फैसले को कायम रखते हुए 4:1 के बहुमत से सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी, हालांकि 6 फरवरी को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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