Relief Ro CM Siddaramaiah From Supreme Court Raj Express
दक्षिण भारत

मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को सुप्रीम कोर्ट से राहत, आपराधिक कार्यवाही पर रोक

Relief Ro Chief Minister Siddaramaiah From Supreme Court : न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी याचिका।

  • बेंगलुरु में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के चलते मामला किया गया था दर्ज।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और कांग्रेस के कई अन्य नेताओं पर 14 फरवरी 2022 को बेंगलुरु में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन से संबंधित मामले पर की गई आपराधिक कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीएम सिद्दारमैया और अन्य की याचिकाओं पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।

पीठ ने उच्च न्यायालय के आपराधिक कार्यवाही पर रोक के साथ-साथ याचिकाकर्ताओं पर लगाए गए जुर्माने की राशि पर भी रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इस मामले के अन्य आरोपियों और मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडलीय सहयोगियों -एम बी पाटिल और रामलिंगा रेड्डी के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को भी राहत दी। पीठ ने याचिकाओं पर कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में अपना पक्ष रखने का भी निर्देश दिया।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा ने दलील देते हुए कहा कि, लोकतंत्र में बोलने और विरोध की स्वतंत्रता का अधिकार सर्वोपरि है। ऐसे प्रदर्शन के लिए आपराधिक मुकदमा चलाया जाना गैरसंवैधानिक है। वरिष्ठ वकीलों ने मुख्य तौर पर कहा कि नागरिकों के एकत्रित होने और विरोध करने का अधिकार केवल तभी प्रतिबंधित किया जा सकता है, जब सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित हो, न कि कानून व्यवस्था।

याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के छह फरवरी 2024 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके साथ कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ताओं पर अदालत का कीमती समय बर्बाद करने के एवज में 10,000 अदा करने का भी आदेश दिया गया था। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि वर्तमान कार्यवाही कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है। अस्पष्ट आरोपों के आधार पर कार्यवाही अनुचित उत्पीड़न होगा।

याचिका में यह भी कहा गया है कि शिकायत की गई घटना लगभग एक घंटे तक चली और जुलूस में शामिल किसी भी सदस्य के खिलाफ कोई हिंसक कार्रवाई या आपराधिक बल का उपयोग करने का आरोप नहीं लगाया गया है। इस प्रकार यह तर्क दिया गया है कि ऐसी 'मामूली' घटनाओं पर कार्यवाही जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जहां कोई स्पष्ट आरोप नहीं है। प्रदर्शन का आयोजन एक सिविल ठेकेदार की मौत के बाद तत्कालीन मंत्री के एस ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग को लेकर किया गया था।

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