सबरीमाला मसले पर महिलाओं से भेदभाव की सुनवाई 6 फरवरी को Priyanka Sahu -RE
दक्षिण भारत

सबरीमाला मसले पर महिलाओं से भेदभाव की सुनवाई 6 फरवरी को

सुप्रीम कोर्ट में आज 9 जजों की बेंच ने सबरीमाला व अन्य धर्मस्थलों पर महिलाओं से भेदभाव के मुद्दे पर सुनवाई की है, अब इस मसले पर 6 फरवरी को सुनवाई होगी।

Priyanka Sahu

राज एक्सप्रेस। भारत में कई बहुचर्चित मंदिर हैं, उन्‍हीं में से केरल का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर भी है, जो काफी समय से विवादों के चलते चर्चा का विषय बना हुआ है और आज 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 9 जजों की बेंच ने इस मसले यानी सबरीमाला व अन्य धर्मस्थलों पर महिलाओं से भेदभाव के मुद्दे पर सुनवाई की है।

महिलाओं से भेदभाव के मुद्दे पर सुनवाई :

सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने सोमवार को सबरीमाला और अन्य धर्मस्थलों पर महिलाओं से भेदभाव के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकीलों ने बेंच से कहा कि, ''वह सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के मामले में दूसरे मामलों को नहीं जोड़ सकती।''

तो वहीं इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, पूर्व अटॉर्नी जनरल के पाराशरण और पूर्व सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने विरोध जाहिर करते हुए कहा कि, सुप्रीम कोर्ट आस्था और मौलिक अधिकारों से जुड़े इस बड़े मुद्दे का फैसला कर सकती है।

इस पर 9 जजों की बेंच ने कहा-

दोनों पक्षों के वकीलों में बहस के मुद्दे को लेकर मतभेद हैं और सभी वकीलों ने हमें सुझाव दिया कि हम मुद्दे तय करें और हम यह करेंगे।

6 फरवरी को होगी सुनवाई :

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के खतना और पारसी महिलाओं के गैर-पारसी से शादी करने पर अग्निमंदिर (पूजा स्थल) में जाने से रोक समेत 7 ऐसे मुद्दों की सुनवाई कर रही है, जो आस्था और मौलिक अधिकारों से जुड़े हुए हैं। जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता में 9 जजों की बेंच अब आगामी 6 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई करेगी।

9 जजों की बेंच में कौन-कौन शामिल :

सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच में चीफ जस्टिस एसए बोबड़े के अलावा जस्टिस आर भानुमती, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एमएम शांतानागौर, जस्टिस एसए नजीर, जस्टिस सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।

क्‍या है सबरीमाला का मामला ?

दरअसल, बात यह है कि, 800 साल पुरानी प्रथा व इस मंदिर की मान्‍यता के अनुसार, 12वीं सदी के भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं, इस कारण यहां रजस्वला स्त्री मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं, उन्‍हें भगवान आयप्पा के दर्शन करने का अधिकार नहीं है, सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही भगवान के दर्शन कर सकती हैं।

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