चेन्नई, तमिलनाडु। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को इस बात का समर्थन किया कि तमिलनाडु में चिकित्सा शिक्षा तमिल भाषा में दी जानी चाहिए, इससे तमिल भाषी लोगों और छात्रों को बहुत लाभ होगा। साथ ही इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से अपनाई गई लाइन का भी पालन किया जाना चाहिए।
श्रीमती सीतारमण ने यहां तमिलनाडु एमजीआर मेडिकल विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मातृभाषा तमिल में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के महत्व पर बल दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे बहुत से छात्रों को लाभ होगा। उन्होंने कहा, "चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करना होगा और इसके लिए इसे क्षेत्रीय भाषाओं की मातृभाषा में पेश किया जाना चाहिए। जैसा कि इस राज्य में तमिल भाषा है जो कि एक प्राचीन भाषा है।"
श्रीमती सीतारमण ने अपने तमिल संबोधन में कहा, "अगर तमिलनाडु के छात्रों को तमिल भाषा में सभी पाठ्यक्रमों की सुविधा दी जाती है, तो इससे तमिल लोगों को लाभ होगा।"
उन्होंने राज्य में तमिल मातृभाषा में चिकित्सा शिक्षा की पेशकश करने की पक्ष लेते हुए कहा कि श्री शाह ने भी मातृभाषा में चिकित्सा और इंजीनियरिंग की शिक्षा की आवश्यकता की पुरजोर वकालत की है। ऐसे में तमिलनाडु सरकार इस मामले में नेतृत्व करने के लिए आगे आ सकती है, क्योंकि तमिल सबसे पुरानी भाषा है और पूरे भारत को इस पर गर्व है।
गौरतलब है कि श्री अमित शाह ने 12 नवंबर को यहां इंडिया सिमेंट्स की प्लेटिनम जुबली के मौके पर यह टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि अगर तमिलनाडु सरकार तमिल में इस तरह के पाठ्यक्रम शुरू करती है, तो यह तमिल भाषा के लिए एक बड़ा योगदान होगा, क्योंकि यह छात्रों के लिए आसान होगा। छात्र अपनी मातृभाषा में अनुसंधान और विकास भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "चिकित्सा और इंजीनियरिंग शिक्षा तमिल में होनी चाहिए तथा तमिलनाडु सरकार को इसका नेतृत्व करना चाहिए और इसे शुरू करना चाहिए।"
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