एपीजे अब्दुल कलाम बर्थडे Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

कभी बेची ईमली और कभी किया अखबार फेंकने का काम, कुछ ऐसा था अब्दुल कलाम का सफर

आज भारत के मिसाइल मैन यानि एपीजे अब्दुल कलाम की जन्म जयंती है। वे हमेशा से एक पायलट बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत उन्हें अंतरिक्ष के करीब लेकर आ गई।

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। भारत के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म आज ही के दिन यानि 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम् में हुआ था। उन्होंने अपने विचारों और कामों से देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपना और भारत का नाम रोशन किया। अपने कामों की बदौलत ही वे लाखों युवाओं की प्रेरणा बने। हालांकि एपीजे अब्दुल कलाम का सपना एक पायलट बनने का था, तो वहीं उनके पिता उन्हें कलेक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन किस्मत उन्हें अंतरिक्ष की दिशा में लेकर चली गई। लेकिन कलाम का यहाँ तक पहुँचने का सफर भी आसान नहीं रहा है।

एक आने से हुई थी शुरुआत :

बात उस दौर की है जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। इस समय कलाम की उम्र महज 8 साल थी और वे रोजाना इमली के बीजों को बेचकर एक आना कमाने निकल जाते थे। इस वाकये को बताते हुए लेखक सचिन सिंहल ने अपनी किताब में लिखा है, कि कलाम उस दौरान इमली के बीज इकट्ठा करते और उन्हें एक आने में बेचते थे। लेकिन वे खुद भी शायद यह नहीं जानते थे कि इसका इस्तेमाल क्या है! दरअसल विश्व युद्ध के दौरान इन बीजों को पीसकर एक पाउडर बनता था, जिसका इस्तेमाल युद्ध की गाड़ियों के ईंधन निर्माण में किया जाता था। इसलिए इनका दाम भी अधिक रहता था।

अख़बार फेंकने का किया काम :

एपीजे कलाम हमेशा से अपने चचेरे भाई शमसुद्दीन को बहुत मानते थे। जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था उस वक्त शमसुद्दीन अख़बार फेंकने का काम करते थे। युद्ध के चलते रामेश्नवरम और धनुषकोडी स्टेशन पर ट्रेनें रुकना बंद हो गईं, जिसके बाद अख़बार ट्रेन से उतारने की बजाय फेंके जाने लगे। इस दौरान शमसुद्दीन के साथ उन्होंने भी अख़बार फेंकने का काम किया। इसके लिए उन्हें पैसा भी मिलता था।

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