राज एक्सप्रेस। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे संजय गांधी का निधन आज ही के दिन यानि 23 जून को एक विमान हादसे में हुआ था। संजय की आकस्मिक मौत ने पूरे देश के राजनीतिक समीकरण को एक नया मोड़ दे दिया था। यह हादसा ऐसे समय हुआ जब संजय गांधी को इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा था। यही नहीं मई 1980 में संजय को कांग्रेस पार्टी का महासचिव भी नियुक्त किया गया था। लेकिन इसके महज एक महीने के अंतराल में ही उनका विमान हादसे का शिकार हो गया, और उन्होंने हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया। आज उनकी पुण्यतिथि पर चलिए जानते हैं उनके बारे में।
संजय गांधी को 1970 के दौर में इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था। क्योंकि इस समय उनकी छवि कांग्रेस में एक बेबाक नेता के तौर पर बन चुकी थी। हर किसी की यही सोच थी कि संजय गांधी कांग्रेस का भविष्य बन सकते हैं। यहाँ तक कि राजनीति के कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यदि संजय गांधी का निधन नहीं हुआ होता, तो शायद राजीव गांधी कभी राजनीति की दुनिया का हिस्सा नहीं बनते।
साल 1973 के दौरान पहली बार संजय और मेनका की मुलाकात हुई थी। इस समय मेनका की उम्र महज 17 साल ही थी। इस मुलाकात में दोनों को एकदूसरे का व्यवहार पसंद आया और फिर इनके बीच मुलाकातों का सिलसिला आगे बढ़ने लगा। आखिरकार 29 सितम्बर 1974 को संजय और मेनका की शादी ही। इस शादी में केवल करीबी लोगों को ही आमंत्रित किया गया था। जिस वक्त संजय का निधन हुआ, उस समय वरुण गांधी की उम्र महज 3 महीने थी।
बताया जाता है कि संजय गांधी उस दिन दिल्ली फ्लाइंग क्लब का एक विमान उड़ा रहे थे। इस दौरान एक स्टंट करते हुए उनका कंट्रोल अपने विमान से खो गया और परिणामस्वरूप उनका विमान हादसे का शिकार हो गया। उनके साथ इस विमान में एक और यात्री कैप्टन सुभाव सक्सेना भी सवार थी। उनकी भी इस हादसे में मौत हो गई थी।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।