विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान-पाक के साथ संबंध सामान्य करना बहुत मुश्किल Twitter
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विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान-पाक के साथ संबंध सामान्य करना बहुत मुश्किल

एशिया सोसायटी द्वारा आयोजित ऑनलाइन समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ संबंध को लेकर कहा-पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद जारी, उनसे रिश्ते सामान्य करना बहुत मुश्किल है।

Author : Priyanka Sahu

दिल्‍ली, भारत। भारत के इलाकों में पाकिस्‍तान द्वारा आतंकवादी साजिशें थम नहीं रही हैै, आतंकवादियों द्वारा कुछ न कुछ घटना को अंजाम दिया जाता है, इसी बीच आज शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान सामने आया है, जिसमें उन्‍होंने पाकिस्तान के साथ रिश्‍ते को लेकर ये बात कही है।

पाक से रिश्ते सामान्य करना बहुत मुश्किल :

दरअसल, एशिया सोसायटी द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन समारोह को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद उनकी सरकार द्वारा सार्वजनिक रूप से स्वीकार की गयी ऐसी नीति बना हुआ है, जिसे वह जायज ठहरा रहे हैं, इसलिए उनके साथ रिश्ते सामान्य करना बहुत मुश्किल हो गया है।’’

केवल आतंकवाद ही नहीं है, बल्कि पाकिस्तान भारत के साथ सामान्य कारोबार नहीं करता और उसने नयी दिल्ली को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा नहीं दिया है। हमारे सामान्य वीजा संबंध नहीं हैं और वे इस मामले में बहुत प्रतिबंधात्मक हैं। भारत और अफगानिस्तान के बीच तथा अफगानिस्तान से भारत तक कनेक्टिविटी बाधित की है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश नीति के लिए बहुत बड़ी समस्या :

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे ये भी कहा कि, ''सामान्य पड़ोसी वीजा और कारोबारी संबंध रखते हैं, वे आपको कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात कि वे आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देते और मेरा मानना है कि जब तक हम इस समस्या पर ध्यान नहीं देते, तो इस बहुत विचित्र पड़ोसी के साथ सामान्य संबंध कैसे रखे जाएं, यह हमारी विदेश नीति के लिए बहुत बड़ी समस्या वाला विषय है।''

इस दौरान पिछले साल विभाजन के बाद से कश्मीर के घटनाक्रम के सवाल को लेकर एस जयशंकर ने ये जवाब दिया कि, ’’पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य अब दो केंद्रशासित प्रदेशों में बंट गया है। भारत की बाहरी सीमाएं नहीं बदली हैं। जहां तक हमारे पड़ोसी देशों की बात है, तो उनके लिए हमारा कहना है कि यह हमारे लिए आंतरिक विषय है। हर देश अपने प्रशासनिक न्यायक्षेत्र को बदलने के अधिकार रखता है। चीन जैसे देश ने भी अपने प्रांतों की सीमाएं बदली हैं और मुझे विश्वास है कि अन्य कई देश ऐसा करते हैं।’’

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