राज एक्सप्रेस। देश में हर वर्ष 18 जून महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1957 में आज के ही दिन रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई थीं। लक्ष्मीबाई के जन्म से लेकर शादी और फिर बलिदान के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं, लेकिन कम ही लोग जानते है कि अपने जिस दत्तक पुत्र दामोदर राव के लिए लक्ष्मीबाई ने अपना बलिदान तक दिया, उनका इस युद्ध के बाद क्या हुआ?
रानी ने लिया था गोद :
अपने पुत्र दामोदर राव के निधन के बाद महाराज गंगाधर और महारानी लक्ष्मीबाई ने झांसी के पास के एक गाँव में रहने वाले आनंद राव को गोद ले लिया और उसका नाम दामोदर राव रखा था।
जंगल में गुजरे दिन :
युद्ध के दौरान अपने पुत्र को बचाने के लिए लक्ष्मीबाई ने उन्हें अपने विश्वासपात्रों को सौंप दिया था। रानी के निधन के बाद दामोदर राव तकरीबन दो साल तक जंगलों में भटकते रहे, लेकिन अंग्रेजों के खौफ के कारण किसी ने भी उन्हें शरण नहीं दी।
अंग्रेज अफसर ने की मदद :
इस बीच जब दामोदर राव की हालत के बारे में अंग्रेज अधिकारी मिस्टर फ्लिंक को पता चला तो उन्होंने दामोदर राव को इंदौर भिजवा दिया और सिफारिश करके उनकी पेंशन की व्यवस्था करवा दी।
इंदौर में रहता है परिवार :
दामोदर राव ने इंदौर में ही पढ़ाई की और फिर शादी भी की। हालांकि कुछ समय बाद ही उनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी की, जिससे उनके बेटे लक्ष्मणराव का जन्म हुआ। 28 मई 1906 को 56 वर्ष की आयु में दामोदर राव का निधन हो गया। दूसरी तरफ लक्ष्मणराव के दो बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। दामोदर राव के वंशज आज भी इंदौर में ही रहते है।
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