Ram Prasad Bismil Birth Anniversary Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

किताबें बेचकर खरीदा था रामप्रसाद बिस्मिल ने तमंचा, दिया काकोरी कांड को अंजाम

क्रांतिकारी बनने के बाद रामप्रसाद बिस्मिल ने अपना पहला तमंचा भी किताब बेचकर मिली राशि से खरीदा था। चलिए जानते हैं उनके काकोरी कांड के बारे में।

Vishwabandhu Pandey

Ram Prasad Bismil Birth Anniversary : आज के दिन यानि 11 जून 1897 में देश के महान क्रांतिकारियों में से एक पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ था। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मे बिस्मिल शुरुआत से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के साथ ही करीब 11 किताबें भी लिखी थी। यहां तक की क्रांतिकारी बनने के बाद उन्होंने अपना पहला तमंचा भी किताब बेचकर मिली राशि से खरीदा था। वैसे तो बिस्मिल की हिम्मत के कई किस्से मशहूर हैं। लेकिन आज हम इस खास मौके पर आपको रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में हुए काकोरी कांड के बारे में बताने वाले हैं।

कैसे हुआ काकोरी कांड?

स्वतंत्रता आंदोलन में काकोरी कांड का जिक्र हमेशा से बेहद खास रहा है। इसकी शुरुआत उस समय हुई जब साल 1922 में महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन अपने चरम पर पहुंच चुका था। लेकिन इस दौरान कुछ आंदोलनकारियों के द्वारा एक थाने में आग लगा दी गई। इस घटना में करीब 22 पुलिसकर्मी जलकर खाक हो गए। इस घटना के बारे में जैसे ही महात्मा गांधी को पता चला तो उन्होंने असहयोग आंदोलन भी वापस ले लिया, क्योंकि वे किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते थे।

इधर आंदोलन के खत्म होते ही चारों तरफ लोगों की उम्मीद भी खत्म होने लगी। लेकिन इसी बीच 9 अगस्त 1925 को कुछ क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन डकैती को अंजाम दे डाला। यह घटना पूरे देश में काकोरी कांड के नाम से मशहूर हो गई। इस क्रांतिकारी कदम का नेतृत्व रामप्रसाद बिस्मिल ने किया था। जिसके बाद उनको अंग्रेज सरकार के द्वारा गिरफ्तार किया गया और 10 महीने तक लखनऊ कोर्ट में मुकदमा चलने के बाद आखिरकार रामप्रसाद बिस्मिल, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खान को फांसी की सजा सुनाई गई।

17 दिसम्बर 1927 को सबसे पहले राजेंद्रनाथ लाहिड़ी को फांसी दी गई, जिसके बाद 19 दिसम्बर 1927 को रामप्रसाद बिस्मिल और इसके उपरांत रोशन सिंह और फिर अशफाक उल्ला खां को फांसी दी गई।

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