राज एक्सप्रेस। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को भारत की अध्यक्षता में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) रक्षा मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर आतंकवाद के मुद्दे पर दो टूक कहा कि आतंकवाद के सभी रूपों को जड़ से खत्म करने और इसे समर्थन देने वालों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। तभी संगठन की प्रासंगिकता है। उन्होंने कहा संगठन के विभिन्न सदस्यों के बीच एकजुटता कायम करने से ही आतंकवाद पर प्रभावशाली रूप से नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए समूह के सभी सदस्यों का एकजुट होना जरूरी है। यह भी देखने की जरूरत है कि कौन लोग हैं, जो इस मुहिम का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। उनसे सख्ती से निपटे जाने की जरूरत है।
आतंकवाद के खतरे के साथ शांति और समृद्धि की कल्पना नहीं की जा सकती। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर हम एससीओ को एक मजबूत और अधिक विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय समूह बनाना चाहते हैं. तो हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने की होनी चाहिए। यहां बता दें कि एससीओ के रक्षा मंत्रियों की इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ वर्चुअल माध्यम से शामिल नहीं उए। उनकी जगह पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रक्षा मामलों पर विशेष सलाहकार मलिक अहमद खान विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्मेलन में शामिल हुए। पाकिस्तान के अलावा समूह के अन्य सभी देशों जैसे चीन, रूस, ईरान और केंद्रीय एशिया के रक्षा मंत्रियों ने नई दिल्ली में हो रही बैठक में हिस्सा लिया।
राजनाथ सिंह ने कहा, अगर कोई देश आतंकवादियों को पनाह देता है, तो वह दूसरों के लिए ही नहीं बल्कि खुद के लिए भी खतरा पैदा करता है। युवाओं को कट्टर बनाना केवल सुरक्षा के लिहाज से ही चिंता का कारण नहीं है। बल्कि यह समाज की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के मार्ग में भी बड़ी बाधा है। भारत क्षेत्रीय सहयोग के एक ऐसे मजबूत ढांचे की कल्पना करता है। जो सभी सदस्य देशों के वैध हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का परस्पर सम्मान करे। भारत ने साथ मिलकर चलने और आगे बढ़ने के सिद्धांत का पालन किया है। रक्षा मंत्री ने कहा, हर युग की एक विशेष सोच होती है और मौजूदा दौर की सोच यह है कि बड़े फायदे के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।
राजनाथ सिंह ने सामूहिक समृद्धि के लिए भारत के दृष्टिकोण को एससीओ देशों के साथ साझा करते हुए कहा कि इस दिशा में ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। जिससे आज की बहुपक्षीय दुनिया में असीमित संभावनाओं वाले इस क्षेत्र की मानसिकता किसी एक के लाभ से दूसरे को नुकसान होने से किसी एक के लाभ से बाकी सब को भी लाभ होने में बदल सकें। गौरतलब है कि एससीओ की स्थापना वर्ष 2001 में चीन के शंघाई में की गई थी। यह मुख्य रूप से एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है। रूस, चीन, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान वर्ष 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे।
एससीओ बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू की मौजूदगी में कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के प्रावधानों के तहत शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में विश्वास करता है। इसी के मद्देनजर वह एससीओ के सदस्य देशों के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ाने का प्रयास करता है। संगठन के बाकी सदस्य देशों को इसी दिशा में काम करना होगा, तभी संगठन की प्रासंगिकता बनी रहेगी। भारत की मेजबानी में आयोजित की गई रक्षा मंत्रियों की बैठक में चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू, रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू, ताजिकिस्तान के रक्षा मंत्री कर्नल जनरल शेराली मिजरे, ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा घरेई अष्टियानी और कजाकिस्तान के रक्षा मंत्री कर्नल जनरल रुस्लान झाकसीलीकोव शामिल हुए।
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