दिल्ली, भारत। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO परिसर में आज विजयादशमी के अवसर पर 'शस्त्र पूजा' की। इस मौके पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद रहेे।
साथ ही इस मौके पर अपने संबोधन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- कोई भी सुधार, एक continuous process है जो समय के साथ लगातार चलता रहता है। सुधार कोई destination न होकर एक journey है, जिसे हम अपने, अपने समाज और राष्ट्र के हित में तय करते हैं। इस पर्व के हर वर्ष मनाए जाने के पीछे यही उद्देश्य रहता है। आज, उसी सुधारात्मक परिवर्तन के क्रम में 7 नई DPSUs (MIL, AVANI, AWE, TCL, YIL, IOL, GIL) को राष्ट्र को समर्पित किया जा रहा है। अपने नए उद्देश्यों को पाने के लिए ऐसे सुधार का इससे अच्छा अवसर शायद ही कोई और हो सकता था।
राजनाथ सिंह ने बताया, ''देश की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को पूरा करने में, defence manufacturing एक key sector है। हमारी defence industry ने हाल के कुछ वर्षों में, न केवल self-reliance की ओर, बल्कि उससे कहीं आगे बढ़ते हुए defence exports में भी ऐसी ऊंचाइयां छुई हैं, जो अब तक कभी संभव नहीं हो सकी थीं। हमारा उद्देश्य public और private sector की active participation के साथ, defence sector में design से लेकर production, और export के क्षेत्र में भारत को दुनिया के शीर्ष देशों में लाना है। आज हमारा देश अपनी पूरी क्षमता, और potential के साथ, दुनिया भर के लिए defence manufacturing hub के रूप में सामने आने के लिए पूरी तरह से तैयार है।''
आगे उन्होंने कहा- सन 2014 में, देश की सेवा का अवसर मिलने के साथ ही, हमने अपनी पुरानी चली आ रही business practices, और global market में अपनी जगह बनाने के लिए आवश्यक modern practices के gap को देखा, भली-भांति समझा और उसे भरने करने का प्रयास किया। 2014 के बाद से, भारत सरकार ने export और FDI के लिए एक अनुकूल ecosystem बनाने, और indigenous products की मांग को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए defence sector में कई सुधार लाए हैं।
आज defence sector, 'self-reliance' और 'make for the world' की राह पर तेजी से चल निकला है। रक्षा मंत्रालय ने Aerospace और defence goods and services में वर्ष 2024 तक 1,75,000 करोड़ रुपये का turnover हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का export भी शामिल हैं।
आत्मनिर्भर भारत' के हमारे संकल्प को आगे बढ़ाते हुए, भारत सरकार ने Ordnance Factory Board, रक्षा मंत्रालय के एक subordinate office को professional management के साथ 7 नई 100% government owned corporate entities में परिवर्तित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
उनका infrastructure और skilled manpower देश के लिए एक महत्वपूर्ण और strategic asset है। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में, सशस्त्र बलों द्वारा OFB उत्पादों की high costs, inconsistent quality और supply में देरी से संबंधित चिंताओं को उठाया गया है।
Ordnance factories का 200 साल से अधिक का एक गौरवशाली इतिहास है। राष्ट्रीय सुरक्षा में इनका बहुत बड़ा योगदान है। Ordnance Factory Board की कार्यप्रणाली का अध्ययन पिछले दो दशकों में विभिन्न high level committees द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य कामकाज में सुधार लाने, और इन factories को Armed forces की defence preparedness के लिए आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना था।
उदारीकरण के बाद market reforms private sector देश की defence preparedness के लिए public sector के साथ हाथ मिलाकर काम कर रहा है। आज defence manufacturing को, private और public sector के समन्वय के रूप में देखा जाता है।
पूरी प्रक्रिया की देखरेख और मार्गदर्शन करने के लिए मेरी अध्यक्षता में एक Empowered Group of Ministers (EGoM) का गठन किया गया था। हमने विभिन्न बैठकें कीं और OFB के corporatization के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।
दूसरे, OFB के corporatisation के निर्णय को लागू करते समय कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जा रही हो।
इस मामले पर विभिन्न निर्णय लेते समय, EGoM मुख्य रूप से दो factors द्वारा निर्देशित था। सबसे पहले, पुनर्गठन के परिणामस्वरूप Ordnance factories द्वारा Ordnance supplies में autonomy, efficiency और accountability में सुधार होना चाहिए।
इन factors को ध्यान में रखते हुए OFB का पुनर्गठन करने और इसे 7 corporate entities में बदलने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय से इन companies को autonomy मिलेगी और साथ ही नई companies के तहत 41 factories के कामकाज में accountability और efficiency में सुधार करने में मदद मिलेगी।
नई संरचना से OFB की मौजूदा प्रणाली में इन विभिन्न कमियों को दूर करने में मदद करेगी और इन companies को competitive बनने और निर्यात सहित बाजार में नए अवसरों की खोज करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगी।
इस पुनर्गठन का उद्देश्य Ordnance Factories को productive, और profitable assets में बदलना; product range में विशेषज्ञता को बेहतर करना; competitiveness में वृद्धि; गुणवत्ता और cost-efficiency को बढ़ाना है।
हमने संसद सहित विभिन्न मंचों और बैठकों में उल्लेख किया है कि हमारी सरकार OFB कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
यह निर्णय लिया गया है कि उत्पादन इकाइयों से संबंधित OFB के सभी employees (Group A, B & C) को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के रूप में दो साल की अवधि के लिए deemed deputation पर corporate entities में स्थानांतरित किया जाएगा।
सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों की पेंशन liabilities, सरकार द्वारा वहन की जाती रहेंगी। 01.01.2004 के बाद भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए, केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू सभी विशेष प्रावधानों को जारी रखने सहित, नए DPSUs द्वारा National Pension Scheme को अपनाया जाएगा।
इस प्रकार, हमारी commitment के अनुरूप, किसी भी कर्मचारी की सेवा शर्तों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है और उनके हितों की पूरी तरह से रक्षा की गई है।
नई कंपनियों के कार्यभार और भविष्य के संबंध में, मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि इनमें से अधिकांश नई कंपनियों पर पर्याप्त कार्य भार होगा। सरकार ने OFB के pending indents को deemed contracts में परिवर्तित करने की व्यवस्था पहले ही लागू की गई है, जिनकी कीमत 65,000 करोड़ रु से अधिक है।
इतना ही नहीं, यह भी निर्णय लिया गया है कि Services द्वारा नए DPSUs को mobilization advance के रूप में Services द्वारा indenters के वार्षिक मूल्य का 60% भुगतान किया जाएगा।
वित्त वर्ष 2021-22 के लक्ष्यों के लिए mobilization advance का भुगतान भी संबंधित indenters द्वारा नए DPSUs को किया गया है, जिसकी कीमत 7,100 करोड़ रुपए है।
नई कंपनियों का incorporation हो गया है और उन्होंने अपना business भी शुरू कर दिया है। मैं इस अवसर पर Federations, और Associations सहित OFB के सभी कर्मचारियों को इस सुचारु परिवर्तन में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
यह एक बड़ा कार्य था और उनके बहुमूल्य सुझावों और समर्थन के बिना यह संभव नहीं होता। मैं उनसे नए प्रबंधन को पूर्ण सहयोग जारी रखने की अपील करता हूं।
मैं नए प्रबंधन से भी अपील करूंगा कि वह services के orders पर निर्भर न रहें, और भारत और विदेशों में नई opportunities explore करें। ये नई कंपनियां न केवल defence manufacturing ecosystem में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, बल्कि हमारी economy के विकास में भी अपना अहम योगदान देंगी।
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