मुंबई, भारत। मुंबई में रक्षा शिपयार्ड पर रक्षा मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति की आज बैठक हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए और उन्होंने बैठक की अध्यक्षता की।
इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- रक्षा मंत्रालय के विभिन्न विषयों पर अब तक हम कई meetings करा चुके हैंI हमारा प्रयास रहता है, कि हम माननीय सदस्यों को मंत्रालय में हो रहे कामकाज से अवगत कराएं, भविष्य में होने वाले कामों की रूपरेखा बताएं, और आप सभी से आपके बहुमूल्य सुझाव प्राप्त करें। साथियों, इस बात को लेकर हमें कतई दुविधा नहीं होनी चाहिए कि, हमारी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए एक सशक्त Navy और Coastguard, आज की महत्त्वपूर्ण जरूरत है। Navy और Coastguard की मज़बूती तभी संभव है, जब हम उन्हें अत्याधुनिक जहाज एवं हथियारों से सुसज्जित करेंगे।
इस दिशा में हमारे Shipyards एक अहम भूमिका निभा रहें हैं। जिस तरह से हमारे Defence Shipyards ने विगत वर्षों में काम किया है, वह सराहनीय है। हमारे Defence Shipyards ने न केवल Timely delivery का ख्याल रखा है, बल्कि ये सभी अपने products की Quality में भी अग्रणी रहे हैं।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
Defence Shipyards ने हमारे प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को भी चरितार्थ किया है। MOD द्वारा जारी Positive Indigenization Lists में, इनके द्वारा Indigenized LRUs की संख्या काफी ज्यादा है।
मैं Defence Shipyards से इस दिशा में कार्य जारी रखने, तथा Navy एवं Coastguards से Continuously Consultation जारी रखने की आशा करता हूँ। SRIJAN पोर्टल में Shipyards के 783 आइटम हैं जो पहले आयात किए जाते थे और इनके स्वदेशी विक्रेता उपलब्ध नहीं थे। शिपयार्डस इस सूची से 73 items का सफलतापूर्वक indigenization करने में सफल रहे हैं। Industry Partners के सहयोग से शेष items के indigenization के प्रयास प्रगति पर हैं।
Defence Shipyards ने आर्थिक स्थिति को भी मजबूत किया है। वर्ष 2021-22 के दौरान इन Shipyards का Value of Production 8924.90 करोड़ रूपए एवं Profit After Tax 927.86 करोड़ रूपए रहा।
वर्तमान में इन Shipyards की Order Book position 81777.45 करोड़ रूपए है।
हमें इस बात की ख़ुशी है कि इन Shipyards में GeM के माध्यम से procurement में वृद्धि हो रही है, जिसमें न सिर्फ घरेलू उत्पादों को प्रोत्साहन मिल रहा है, बल्कि procurement में ज्यादा transparency आई है। सभी Shipyards के लिए, MoU 2022-23 के अंतर्गत GeM के माध्यम से procurement बढ़ाने को कहा गया है। इसके अतिरिक्त इन Shipyards के लिए कुल procurement का 25 प्रतिशत MSMEs से करने का लक्ष्य रखा गया है।
आने वाले समय में हमारे Shipyards को न सिर्फ domestic requirements को पूरा करना होगा बल्कि export orders भी competitive basis पर अर्जित करनी होगी। मैं इस बात से आश्वत हूँ, कि Shipyards के top management आज के Competitive Environment को भली-भाँति समझते हुए अपने आपको बदलती हुई परिवेश में ढालने की कोशिश जारी रखेंगे और इसमें सफलता पायेंगे।
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