नागपुर,भारत। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज नागपुर में मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड की हैंडिंग ओवर सेरेमनी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और ईईएल में मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड के सौंपने के समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'रक्षा क्षेत्र के लिए ये ऐतिहासिक दिन है। आत्मनिर्भरता की दिशा में ये हमारे भारत की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।'
प्राइवेट सेक्टर की साझेदारी का एक बड़ा उदाहरण है :
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- आज DRDO के ‘Terminal Ballistic Research Laboratory’ की सहायता से, M/s Economic Explosive Limited द्वारा पहली बार निर्मित ‘Multi-Mode Hand Grenade’, भारतीय सेना को सौंपा गया है। यह Public और प्राइवेट सेक्टर की साझेदारी का एक बड़ा उदाहरण है। मुझे बताया गया कि, यह Grenade, न केवल अधिक घातक है, बल्कि इस्तेमाल करने के लिहाज से अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय भी है। साथ ही यह Offensive और Defensive, दोनों तरीकों से काम करता है। इसकी सटीकता 99 फ़ीसदी से अधिक है।
अगला lot और भी तेज गति से Deliver करेंगे :
नागपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "मुझे यह जानकर बड़ी खुशी हुई, कि मार्च 2021 में इसके प्रोडक्शन की मंजूरी मिली और 5 माह के भीतर-भीतर आपने 1 लाख ग्रेनेड बना भी लिए। मुझे विश्वास है कि, अगला lot आप और भी तेज गति से डिलीवर करेंगे। जब मैं देश का गृह मंत्री था। तो मैंने एक अख़बार में पढ़ा था, ‘India’s Defence Industry lacks Fire Power’। स्वाभाविक है मुझे पीड़ा हुई थी। रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद, मेरा हमेशा प्रयास रहा है कि, हमारी रक्षा उद्योगके लिए जितना कुछ भी संभव है, मैं वह सब करूं।"
राजनाथ सिंह के संबोधन की प्रमुख बातें-
किसी भी इंडस्ट्री के लिए सुदृढ़ इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे पहली और जरूरी चीज़ होती है। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो defence corridors की स्थापना की है। ये कॉरिडर आने वाले समय में न केवल डोमेस्टिक रिक्वायरमेंट्स को पूरा करेंगे, बल्कि भारत को एक net exporter के रूप में भी दुनिया के सामने लाएँगे।
रक्षा मंत्रालय ने पहली बार, एक बड़ा कदम उठाते हुए, Defence Production और Export Promotion policy 2020 का draft जारी किया है। यह policy 2025 तक, लगभग 1,75,000 करोड़ रुपये के वार्षिक टर्नओवर के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी।
इस वर्ष, यानी 2021-22 के दौरान capital acquisition budget के अंतर्गत घरेलू खरीद के लिए बजट को 54% से बढ़ाकर 64% कर दिया गया है। इसी तरह पहली बार, इस वर्ष के लिए Domestic Defence Industry का 15% procurement, private sector industries के लिए earmark किया गया है।
Ease of doing business को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने self-certification status प्रदान करने के लिए एक स्कीम शुरू की है। इसके तहत अब कम्पनियाँ third-party agencies से certification प्राप्त कर सकेंगी। अब तक, 10 कंपनियों को self-certification का दर्जा दिया गया है।
Ordnance Factory Board, जिसके तहत 41 Ordnance Factories कार्य करते हैं, के corporatisation का निर्णय भी इसी प्रकार का एक कदम है। यह कदम, OFB को और अधिक प्रभावी और efficient बनाकर इसकी वास्तविक क्षमता को उजागर करेगा।
ये केवल हाल के कुछ उपाय हैं जो सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत के objectives को पूरा करने के लिए किए गए हैं। इन उपायों और प्रयासों की एक लम्बी लिस्ट है जिसे सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किए हैं।
आज के समय में किसी भी Industry की जो प्राथमिक जरूरतें होती हैं, Technology उनमें से एक है। आज उन्हीं राष्ट्रों का प्रभुत्व है, जिनका प्रभुत्व Technology पर है। चूँकि यह बहुत जल्दी outdated हो जाती है। इसलिए इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए बहुत खर्च करना पड़ता है।
मुझे बताया गया कि Industries अपनी R&D में कई बार, 80-90 फीसदी तक खर्च कर देती है, product की cost तो महज 10-20 फीसदी की होती है। ऐसे में नई उभरती industry के लिए technology develop करना बड़ी मुश्किल का काम है।
ऐसे में सरकार द्वारा महत्वपूर्ण technologies का transfer अपने आप में एक बड़ी बात है। निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए, incubator की भूमिका निभाते हुए DRDO ने निःशुल्क technologies का transfer, testing facilities का access तथा 450 से अधिक patents का free access प्रदान किया है।
न केवल निःशुल्क technologies का transfer, बल्कि Technology के विकास के लिए ‘Technology Development Fund’ के तहत 10 करोड़ रुपये तक की upfront funding का भी प्रावधान भी DRDO द्वारा किया गया है
नई technologies को innovate करने, Defence और Aerospace से जुड़ी समस्याओं को हल करने, और start-ups लाने के उद्देश्य से, ‘Innovations for Defence Excellence’ अथवा ‘iDEX’ भी launch किया गया है।
Multi-Mode Grenade की तरह ही, ‘Arjun-Mark-1’ tank हो, ‘Unmanned Surface Vehicle’ हो, ‘See Through Armour’ हो, या इसी तरह के अनेक products हैं जिनका हमारी industries पूरी तरह स्वदेशी उत्पादन करने लगी है।
जिस गति से हमारी industries आगे बढ़ रही हैं, रक्षा उत्पादन में अपना योगदान दे रही है, export दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं, मुझे पूर्ण विश्वास है कि जल्दी ही, उसी अख़बार में लिखा होगा, “India as Defence Manufacturing Hub for the World”।
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