उत्तराखंड, भारत। उत्तराखण्ड के देहरादून में उत्तराखंड सैनिक कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने 'सैनिक सम्मान यात्रा' के ग्रैंड फिनाले को कार्यक्रम को संबोधित किया।
उत्तराखण्ड सरकार ने सैन्य धाम की स्थापना का लिया संकल्प :
देहरादून में सैनिक सम्मान यात्रा के ग्रैंड फिनाले को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि, ''उत्तराखण्ड की वादियों में हमेशा से शौर्य, साहस और पराक्रम के क़िस्से सुने और सुनाये जाते हैं। यहाँ चार धाम हैं, गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्री धाम और केदार धाम। अब उत्तराखण्ड सरकार ने एक सैन्य धाम की स्थापना का संकल्प लिया है। मैं इसके लिए प्रदेश सरकार को बधाई देता हूँ। यह सैन्य धाम उत्तराखण्ड की सैन्य परम्परा का प्रतीक बनेगा। यही कारण है कि, यहां पर उत्तराखण्ड के कोने-कोने से वीरगति को प्राप्त हुए 1734 सैनिकों के आंगन की मिट्टी लाई गई है। यह कोई छोटा काम नहीं है।''
उत्तराखण्ड का यह क्षेत्र तो वीरों का क्षेत्र है। उत्तराखण्ड की इसी महान परम्परा के वाहक थे। देश के पहले सी.डी.एस. जनरल बिपिन रावत का निधन देश की बहुत बड़ी क्षति है। आज जनरल रावत भले ही इस दुनिया में नहीं है मगर लोगों के दिलों में वे हमेशा जीवित रहेंगे।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
PM मोदी ने सोमनाथ का पुनरोद्धार किया :
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया- हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की बागडोर संभालने के बाद सोमनाथ का पुनरोद्धार किया है, केदारनाथ का पुनर्निमाण किया है और अब काशी विश्वनाथ को पुराना गौरवमयी स्वरूप प्रदान किया है। यह उनकी प्रेरणा है, जो अब उत्तराखण्ड में सैन्यधाम के निर्माण का संकल्प लिया गया है। हमने कहा था पूर्व सैनिकों को उनका ‘वन रैंक वन पेंशन’ का हक दिलाएंगे। आप सब जानते ही हैं कि, सरकार बनने के बाद हमने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को लागू कर दिया।
सैनिकों के सम्मान और कल्याण के लिए हमारी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। साल 2006 से पहले रिटायर हुए हवलदार जिनको नायाब सूबेदार के रैंक में Revised Pension की लाभ नहीं मिल रहा था।
हमारी सरकार ने व्यवस्था दी और अब Pre2006 में रिटायर्ड हवलदार जिनको आनरेरी नायक सूबेदार का रैंक मिला उन्हें भी Revised Pension का लाभ मिल रहा है। ऐसे करीब 75250 आनरेरी नायब सूबेदारों को लाभ मिला है।
पचास सालों में Navy और एयर फोर्स के पर्सनेल के लिए पेंशन रेग्यूलेशन को Revise ही नहीं किया गया था। हमने दिसम्बर 2020 में तीनों सेनाओं के पेंशन रेग्यूलेशन की Revise करने के आदेश दे दिए हैं।
पहले बैटल कैज्युलटी के मामलों में केवल 02 लाख रूपए की Ex-Gratia/एक्स ग्राशिया राशि ही दी जाती थी। हमने उसे चार गुना बढ़ा कर 08 लाख कर दिया है।
पूर्व सैनिकों की पेंशन से जुड़े मामलें अटके, भटके और लटके नहीं इसके लिए एक Dedicated Pension Grivances Cell है, जिसमें 97 फीसदी मामलों का सफलतापूर्वक निस्तारण हो रहा है।
उत्तराखंड की सरकार ने एनडीए और सीडीएस की लिखित परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू की तैयारी में मदद करने के लिए 50,000 रुपये की सहायता देने का फैसला लिया गया। मैं इसके लिए प्रदेश सरकार को बधाई देता हूँ।
अंतराष्ट्रीय जगत में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। आज भारत को हर मंच पर गम्भीरतापूर्वक सुना जाता है। हाल ही में प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का उद्घाटन किया गया। इससे करीब 100 लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा से जुड़े परियोजनाओं के विकास को गति मिलेगी।
विकास की पहली शर्त होती है सुरक्षा और दूसरी कनेक्टीविटी। सुरक्षा की दृष्टि से उत्तराखण्ड हमेशा एक शांतिप्रिय राज्य रहा है। मगर यहां सबसे बड़ी चुनौती कनेक्टीविटी की रही है। उत्तराखण्ड समेत पूरे देश में रेल-रोड और एयर कनेक्टिविटी की दृष्टि से काफ़ी काम हुआ है।
चार धाम मार्ग उत्तराखण्ड के चारों धामों से जहां देश विदेश में तीर्थ यात्रियों को जोड़ेगा वहीं गढ़वाल और कुमांऊ के इलाकों को और नजदीक लेकर आएगा। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाईन पर काम चल रहा है। इस कुंमाऊ क्षेत्र में टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाईन पर भी काम हो रहा है। देहरादून के एयरपोर्ट की क्षमता को लगभग पांच गुना बढ़ाया जा रहा है।
हमारा मानना है कि भारत के हर सीमावर्ती राज्य का अपना एक सामरिक महत्व है और इन राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग देश के Strategic Asset'. जब सीमाई राज्यों का विकास होता है तो देश का सुरक्षा चक्र मजबूत होता है।
उत्तराखण्ड की सीमाएं नेपाल और तिब्बत से लगती है। नेपाल के साथ भारत के अच्छे संबंध है। तिब्बत के क्षेत्र में ही कैलाश मानसरोवसर स्थित है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए हमने लिपुलेख के रास्ते एक नया यात्रा मार्ग तैयार किया है। इस रास्ते के खुल जाने के कारण समय की बचत होगी।
जहां तक रक्षा क्षेत्र का सवाल है तो हमारी सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को पूरा करने का प्रयास चल रहा है। आज भारत की रक्षा खरीद का 65-70 फीसदी हिस्सा इस देश में ही बनाया जा रहा है।
हाल ही में सरकार ने OFB का कारपोरेटाइजेशन कर दिया है और 7 नर्इ कंपनियां बनाई गई है। उनमें से एक इंडिया आप्टेल लिमिटेड का मुख्यालय यहीं देहरादून में है जो यहां की आर्डनेंस फैक्ट्री और चंडीगढ़ की आर्डनेंस केबल फैक्ट्री को मिलाकर गठित की गई है।
भारत आने वाले दिनों में न केवल अपनी रक्षा जरूरतों का सामान यहां की धरती पर बनाएगा, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी हम रक्षा सामग्री बनाने जा रहे हैं।
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