कैलाश चौधरी Raj Express
राजस्थान

कांग्रेस को चुनाव के समय ही गाय और किसान की याद क्यों आई : कैलाश चौधरी

जयपुर, राजस्थान : आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गाय की चिंता हुई है और गोबर खरीद की गारंटी देने लगे हैं, पांच साल से किसान और गाय यहीं थी तब चिंता क्यों नहीं हुई।

राज एक्सप्रेस

हाइलाइट्स :

  • सीएम गहलोत नई गारंटियों की दुकान खोलने चले हैं।

  • लूट और झूठ की इस सरकार ने पांच साल तक बेरोजगारों को गुमराह किया।

  • वर्ष 2010 में यूपीए सरकार ने ही न्यू पेंशन स्कीम को लागू किया था।

जयपुर, राजस्थान। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई सात गारंटियों की घोषणाओं को झूठा और मनगढ़त करार देते हुए कहा है कि आज उन्हें गाय की चिंता हुई है और गोबर खरीद की गारंटी देने लगे हैं, पांच साल से किसान और गाय यहीं थी तब चिंता क्यों नहीं हुई।

कैलाश चौधरी शुक्रवार को यहां प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीएम गहलोत नई गारंटियों की दुकान खोलने चले हैं, पुरानी गारंटियों को भूल गए। संपूर्ण कर्जमाफी के नाम पर कांग्रेस ने प्रदेश के किसानों को ठगा और कर्ज में डूबे 19 हजार से ज्यादा किसानों की जमीनें नीलाम हो गई, जिसके चलते प्रदेश में सैंकड़ों किसानों ने आत्महत्या कर ली। पिछले चुनावों में कांग्रेस ने बेरोजगारों को 3500 रूपये रोजगार भत्ता देने की घोषणा की थी, लेकिन लूट और झूठ की इस सरकार ने पांच साल तक बेरोजगारों को गुमराह किया।

उन्होंने कहा कि लंपी वायरस के समय प्रदेश में नौ लाख गायें मरी तब अशोक गहलोत को गायों की चिंता क्यों नहीं हुई। प्रदेश के पशुपालकों को मुआवजे की बात आई तो सरकार ने महज 40 हजार लोगों को ही मुआवजा दिया और इसमें भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को चिह्नित करके यह मुआवजा दिया गया।

कैलाश चौधरी ने कहा कि ओपीएस के नाम पर वाहवाही लूटने वाले अशोक गहलोत को जनता को यह भी बताना चाहिए कि न्यू पेंशन स्कीम लाने वाले भी वह और यूपीए सरकार ही है। वर्ष 2010 में यूपीए सरकार ने ही न्यू पेंशन स्कीम को लागू किया था। आज प्रदेश सरकार झूठी गारंटियों के चक्कर में कर्ज के दलदल में जनता को दबा रही है जिसके चलते ठेकेदारों को उनका पैसा नहीं मिल पा रहा है। राजस्थान बाजरा उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन गहलोत सरकार यहां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं दे रही जिसके कारण प्रदेश के किसानों को हरियाणा और मध्यप्रदेश में बाजरा बेचना पड़ता है, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल 1200-1300 रूपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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