हाइलाइट्स :
राहुल गांधी ने जनसभा में जेब कतरे शब्द का किया इस्तमाल।
केंद्र सरकार की योजनों पर साधा निशाना।
जाति जनगणना की दोहराई बात।
राजस्थान। कांग्रेस ने जनता का समय कभी जाया नहीं किया। जब भी जनता को जरुरत पड़ी हम साथ खड़े थे। सबसे पहले आजादी के समय अंग्रेजों को देश से निकाला। इसके बाद हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, लिब्रलाइजेशन, कंप्यूटर रिवोल्यूशन...,अब समय आ गया है फिर से क्रान्ति लाइ जाए। देश में अब बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है। इस बेरोजगारी और महंगाई को हटाने का सटीक तरीका गरीब, पिछड़े और आदिवासी को देश में भागीदारी देने का है। जिस दिन ये काम हो गया चमत्कार हो जाएगा। छोटे काम होते रहेंगे लेकिन बड़ा काम...जाति जनगणना हम करवाएंगे। यह बात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गाँधी ने राजस्थान के ढोलपुर में जनसभा के दौरान कही है। इसके अलावा राहुल गांधी की दो अन्य सभा गंगापुर और भरतपुर में भी हुई है। राहुल गांधी ने अपनी जनसभा में जेब कतरे शब्द का इस्तमाल किया है।
बीमा का पैसा भी समय पर नहीं मिलता :
राहुल गांधी ने कहा 90 अफसर हिन्दुस्तान चलाते हैं। अगर पिछड़ों की भागीदारी है तो 90 में से पिछड़े वर्ग के कितने अधिकारी हैं। किसी को नहीं पता... पिछड़ों की सरकार का दांवा तब किया जा सकता था जब 45 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के अफसर होते। फसल बीमा योजना में पैसा भी जनता के टैक्स से आता है। जीएसटी गरीब, दलित और आदिवासी की जेब से आता है। सरकार ने आपका पैसा 16 कंपनियों में डाल दिया। यहाँ एक भी दलित, आदिवासी नहीं मिलेगा। फसल बर्बाद होने पर इन्ही कंपनियों में शिकायत की जाती है, जवाब मिलता है आपका तो नुकसान ही नहीं हुआ। आपको बीमा का पैसा भी समय पर नहीं मिलता।
जेब कतरों पर भी बोले राहुल :
राहुल गांधी ने कहा, हिन्दुस्तान की सरकार युवाओं की सेना में भर्ती करती थी। अब सरकार लाई अग्निवीर योजना। युवाओं को 4 साल के लिए सेना में लिया जाता है। जितना पैसा पहले आपको मिलता था अब वो बड़े उद्योगपतियों को जा रहा है। जेब कतरों के बारे में एक बात बताता हूँ। तीन लोग आते हैं, एक ध्यान भटकाता है, दूसरा जेब काटता है, तीसरा आवाज करने पर लाठी मारता है।
हमें दो हिन्दुस्तान नहीं चाहिए :
राहुल गांधी ने कहा, मैंने पार्लियामेंट में पूछा - पिछड़े, दलित लोगों की कितनी आबादी है। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता है तो धन किसके हाथ में हैं। हिन्दुस्तान में पिछड़े जात के कितने लोग हैं कोई नहीं बता पाएगा। इससे होता ये है कि, देश को एमपी और MLA नहीं 90 अधिकारी चला रहे हैं। हमें दो हिन्दुस्तान नहीं चाहिए। इसे बदलने का रास्ता जाती जनगणना है। इससे लोगों को उनकी शक्ति का पता लग जाएगा।
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