जयपुर, राजस्थान। 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का आयोजन राजस्थान विधानसभा में किया जा रहा है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, उपसभापति राज्यसभा हरिवंश नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया,सांसद किरोणी लाल मीणा, राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी सांसज घनश्याम तिवाड़ी कार्यक्रम में मौजूद हैं। सम्मेलन में साए सभी मुख्य अतिथियों ने अपना भाषण दिया। उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा की जनता सदन में हो रहे अप्रिय व्यहवार से वे बहुत नाखुश हैं।
उपराष्ट्रपति धनखड़ का भाषण
उपराष्ट्रपति ने कहा कि, "हम विधानसभा में न्यायपालिका के जजमेंट की व्याख्या नहीं कर सकते हैं, उसी तरह कोर्ट भी विधानसभा के फैसलों की व्याख्या ना करें, संविधान की मूल भावना का सभी को मिलकर सम्मान करना चाहिए। सदन में अशोभनीय व्यवहार से आक्रोशित है जनता। यह हम सब का सौभाग्य है कि, भारत विश्व में लोकतांत्रिक विस्तार का प्रतीक है। हमें विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव हासिल है।"
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ''हमारी जिम्मेदारी बनती है कि प्रजातांत्रिक मूल मुद्दों को और मौलिकता को हर तरीके से प्रीजर्व करें। विधान मंडलों में लोकसभा में राज्यसभा में जो वातावरण दर्शित होता है। हमें इस समस्या का समाधान करना चाहिए। संसद और विधान मंडलों में अशोभनीय व्यवहार होता है, जिससे जनता में काफी आक्रोश है। इसका निदान खोजा जाए कि हमारे पास एक ही विकल्प है कि हम समाधान खोजें।
विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी – सदन को चलाने में आती है कई समस्याएं
स्पीकर जोशी ने कहा कि, ''सदन की वित्तीय सहायता के लिए वित्त आयोग तो है, लेकिन सदन को चलाने में कई समस्याएं आती हैं। इसलिए अगर स्वायत्तता विधानमंडलों को दी जाएगी तो ज्यादा बेहतर होगा।'' उन्होंने खुद को एक हेल्पलेस रेफरी की तरह बताया। हम सिर्फ सदन चला सकते हैं, कोई कार्यवाही में व्यवधान पैदा करते हैं तो उन्हें बाहर निकाल सकते हैं। इसके अलावा हम कुछ नहीं कर सकते। यहां तक कि, हमें सदन को बुलाने का अधिकार भी नहीं है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है।
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