जैसलमेर,राजस्थान। जैसलमेर के जंगलों को बचाने के लिए स्थानीय और जंगलों के आस पास रहने वाले लोगों द्वारा 225 किलोमटर की "ओरण बचाओ यात्रा" निकाली जा रही है। इस तरीके से जंगलों और हमारे वनों को बचाने के लिए ऐसी यात्राए आज काफी दिखाई दे रही है। हमने ऐसी यात्रा या विरोध गोवा में भी देखा था, अभी ऐसा ही जंगलों को बचाने का लिए सरकार के खिलाफ विरोध छत्तीसगढ़ के हसदेव में भी चल रहा है और हमने 2 साल पहले मुंबई के अरे जंगल को काटने के खिलाफ भी प्रदर्शन देखे थे।
जैसलमेर के जंगलों को बचाने के लिए 225 किलोमीटर की ओरण बचाओ यात्रा चल रही है जोकि 11 दिसंबर से देगराय मंदिर से निकली थी और अभी तक इसने 170 किलोमीटर तक का सफर तय कर लिया है। यात्रा में 50 से ज्यादा लोग और पर्यावरण प्रेमी जुड़ चुके है। ओरण बचाओ यात्रा में शामिल लोग 19 दिसंबर को कलेक्टर से मिलकर ओरण और जंगल की जमीन को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग करेंगे। यात्रा 19 दिसंबर को जैसलमेर पहुंचेगी। जैसलमेर पहुंचने से पहले यात्रा 40 बड़े गावों से होकर गुज़रेगी। देश की बहुचर्चित कलेक्टर टीना डाबी जैसलमेर ज़िले की कलेक्टर हैं।
क्यों हो रहीं है ये यात्रा?
देश के प्रसिद्ध ओरण में से 610 साल पुराने देगराय मंदिर के पास ओरण जंगल में हो रही निजी कंपनियों द्वारा लगातार घुसपैठ और पेड़ो की कटाई एवं सोलर कंपनियों को राजस्थान सरकार द्वारा जमीनें आवंटित करने के विरोध में यह ओरण बचाओ यात्रा निकाली जा रही है। स्थानीय और यात्रा से जुड़े हुए लोग ओरण भूमि को बचाने के साथ इसकी 36 हज़ार बीघा ज़मीन को राजस्व ज़मीन दर्ज करने की भी मांग कर रहे है। 2 साल पहले सितंबर 2020 को भी ऐसी यात्रा निकाली गई थी, जिसमे समान मुद्दो के साथ ही ओरण बचाओ यात्रा निकाली गई थी। वह यात्रा ने 55 किलोमीटर का सफर तय किया था।
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