जयपुर, राजस्थान। जयपुर जिले कलेक्ट्रेट में संस्थापना शाखा और सामान्य शाखा से ई–फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत कर दी जाएगी। जयपुर के कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने यह सिस्टम लागू किया है। प्रदेश सरकार के सूचना एवं तकनीकी विभाग द्वारा तैयार किए गए "राजकाज" सॉफ्टवेयर के द्वारा सारा कलेक्ट्रेट का राजकार्य ई–फाइलिंग सिस्टम के रूप में किया जाएगा।
कलेक्ट्रेट में समय और कागज की बचत के साथ-साथ ही पत्रावलियों का सुरक्षित संधारण सुनिश्चित करना आसान हो जाएगा। पत्रावली अब भौतिक न होकर ऑनलाइन रूप में हो जाएगी। राजकाज सॉफ्टवेयर पर ही अब पत्रावली ऑनलाइन तैयार की जाएगी और संभित अधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी। कलेक्ट्रेट अधिकारी अपनी SSO आईडी का उपयोग करके पत्रावलियों को देख और उस पर कार्यालय टिप्पणी कर सकेंगे। डिजिटल साइन के ज़रिए फाइल का अनुमोदन और ऑनलाइन आदेश भी जारी किए जाएंगे।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने कहा-
अतिरिक्त जिला कलेक्टर दिनेश कुमार शर्मा ने कहा- डिजिटल सिस्टम की वजह से कलेक्ट्रेट में पेपरलेस कार्य को बढ़ावा मिलेगा साथ ही फाइलों की मॉनिटरिंग करना ऑनलाइन सिस्टम के कारण और आसान हो जाएगा। उनका मानना है कि ई-फाइलिंग सिस्टम से पारदर्शिता और सुशासन की ओर एक अहम कदम होगा।
पहले कलेक्ट्रेट कार्यालय में कागज की पत्रावलियों से काम काज हुआ करता था, जिसकी वजह से पत्रावलियों की मॉनिटरिंग करने करने में दिक्कत आया करती थी, लेकिन ई–फाइलिंग सिस्टम आने के बाद इन सभी दिक्कतों का निवारण होगा। फाइलों के फिजिकल मूवमेंट न होने पर पेपर, मैनपावर और समय की बचत के साथ वर्क फ्रॉम होम या वर्क एनी व्हेयर जैसी अवधारणा लाई जा सकेगी। पत्रवालियो में सरलता और पारदर्शिता आने के अलावा पत्रावलियों का संचालन और आसानी से होगा। सूचना एवं तकनीकी विभाग ने "राजकाज" एप का निर्माण किया है।
ई–फाइलिंग सिस्टम का उपयोग पहली बार भारत में 2 अक्टूबर 2006 में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा किया गया था। कुल 18 उच्च न्यायालयों ने 31.07.2022 तक ई-फाइलिंग के मॉडल नियमों को अपनाया हैं। इसके अतिरिक्त, 28 उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र के तहत, 17 जिला न्यायालयों ने 31.07.2022 तक ई-फाइलिंग के मॉडल नियमों को अपनाया हैं।
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