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राजस्थान भाजपा में मुख्यमंत्री पद के कितने दावेदार?

राजस्थान के अगले साल आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की तरफ से कई नेता ठोक रहे है मुख्यमंत्री पद की दावेदारी।

Akash Dewani

राज एक्सप्रेस। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है और प्रदेश में सारी पार्टियां अभी से अपनी तैयारियां प्रारंभ कर चुकी हैं। भाजपा ने जहां जेपी नड्डा के नेतृत्व में जन आक्रोश यात्रा की शुरुआत की थी, वहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने 18 दिन तक राजस्थान के 5 जिलों में निकली। लेकिन राजस्थान में भाजपा के कई ऐसे नेता है जो मुख्यमंत्री के पद की दावेदारी ठोक रहे हैं। आए दिन भाजपा के नेताओं के बयान आते रहते है और प्रतिदिन कोई न कोई नेता अपनी दावेदारी किसी सभा में बता रहा है। वैसे तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद एक दावेदार है, क्योंकि गहलोत से पहले वसुंधरा ही मुख्यमंत्री थी लेकिन उनके अलावा 6 और चेहरे है जो अपनी दावेदारी ठोक रहे है।

सतीश पूनिया:

सतीश पूनिया वर्तमान में राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राजस्थान की अंबर विधानसभा सीट से विधायक हैं। 2018 में हुई भाजपा की पराजय के बाद पिछले अध्यक्ष मदन लाल सैनी के देहांत के बाद सतीश पूनिया को राजस्थान में पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार मिला था। सतीश पूनिया राजस्थान भाजपा के पहले जाट अध्यक्ष बने। जाट समुदाय एक बहुत अहम समुदाय है राजस्थान में चुनाव के दृष्टिकोण से और पूनिया ने बार-बार दोहराया है कि कोई भी व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं हो सकता है। राजस्थान भाजपा प्रभारी अरुण सिंह ने पूनिया में केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे को दोहराया है।

सतीश पूनिया

गुलाब चंद कटारिया :

वर्तमान नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सांसद भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया, संभावित मुख्यमंत्री के रूप में एक और दावेदार है जिन पर बातें हो रहीं हैं। कटारिया,जो सत्तर के दशक से पार्टी से जुड़े हुए हैं वह राजे के पिछले कार्यकाल के दौरान गृह मंत्री थे। 2012 में राजे गुट के दबाव में, कटारिया को एक यात्रा रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो उन्हें राजस्थान भाजपा के चेहरे के रूप में स्थापित करने के लिए तैयार थी। मेवाड़ क्षेत्र के एक दिग्गज नेता, कटारिया सात बार से विधायक हैं और विभिन्न भाजपा सरकारों में कई मंत्री पद संभाल चुके हैं।

गुलाब चंद कटारिया

राजेंद्र राठौड़ :

विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़, जो सात बार से चुरू जिले से विधायक भी हैं, कभी राजे के सबसे करीबी नेताओं में से एक थे, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि बाद के आखिरी कार्यकाल में रिश्ते में खटास आ गई थी। कांग्रेस ने अक्सर राठौर को उनकी मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षाओं को लेकर निशाना बनाया है। राजेंद्र राठौड़ पिछले 30 सालों से भाजपा के लिए काम कर रहे है। पिछली सरकार में राजेंद्र राठौड़ ग्रामीण विकास,पंचायती राज और संसदीय कार्य मंत्री का पद संभाला था।

राजेंद्र राठौड़

गजेंद्र सिंह शेखावत :

जल शक्ति के लिए मौजूदा केंद्रीय मंत्री हैं और जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत भी मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के करीबी माने जाने वाले शेखावत को अक्सर राज्य में शीर्ष पद के लिए सबसे आगे देखा जाता है। जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को हराकर दूसरी बार सांसद बनने के बाद शेखावत का पार्टी में कद और बढ़ गया।

गजेंद्र सिंह शेखावत

अर्जुन राम मेघवाल :

बीकानेर से सांसद और केंद्र में संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस सूची में अगले नेता है, जिन्हे राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। अर्जुन राम मेघवाल अनुसूचित जाति की चमार जाती से आने वाले नेता है। अनुसूचित जाति राजस्थान की राजनीति का एक बहुत ही अहम हिस्सा है, क्योंकि राजस्थान में लगभग 18 फीसदी लोग अनुसूचित जाति से आते है। ऐसे में अर्जुन राम मेघवाल की मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी की भी चर्चा तेज़ हो रही है। मेघवाल सांसद के काम के लिए आने-जाने के लिए सरकार द्वारा प्रदान की गई कार का उपयोग नहीं करते हैं। इसके बजाय, वह अपनी पुश-बाइक का उपयोग स्थानीय परिवहन मोड के रूप में करता है।

अर्जुन राम मेघवाल

वसुंधरा राजे सिंधिया:

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद की दावेदार रहेंगी, क्योंकि वो एक महिला चेहरा होने के साथ ही पहले भी उस पद पर कार्य कर चुकी है और राजस्थान की ज्यादातर जनता में वसुंधरा राजे सिंधिया ज्यादा चर्चित है।2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से, जिसमें राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपनी सत्ता खो दी थी, राज्य में पार्टी के दैनिक मामलों में उनकी भूमिका काफी कम हो गई थी।2019 में, जब केंद्रीय नेतृत्व ने एक नई भाजपा राज्य कार्यकारिणी का गठन किया, तो राजे के कई विरोधियों जैसे कि मदन दिलावर, जिन्हें पहले दरकिनार कर दिया गया था, को जगह मिली, एक ऐसा कदम जो राजे के नेतृत्व में अकल्पनीय था। इसके बाद से बयानों और पलटवारों का सिलसिला जारी है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया

राजस्थान में अगले साल संभवत अक्टूबर–नवंबर के महीने में होंगे। भाजपा के साथ साथ कांग्रेस में भी अंतर कलह देखा जा रहा है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत का भी झगड़ा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। लेकिन जहां भाजपा अपने अंतर कलह को बखूबी छुपाने और सुलझाने के लिए जानी जाती है वहीं इस बार राजस्थान में भाजपा के अंतर कलह सड़को और जन सभाओं में खुलेआम दिख रहें हैं।

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