करणी माता मंदिर को तोड़ने का उच्च न्यायालय ने दिया आदेश Akash Dewani - RE
राजस्थान

करणी माता मंदिर को 4 जनवरी तक तोड़ने का उच्च न्यायालय ने दिया आदेश

राजस्थान उच्च न्यायलय ने चुरू जिला के बीकानेर मार्ग पर स्थित 60 साल पुरानी करनी माता मंदिर को 4 जनवरी तक तोड़कर गिरा देने का निर्देश दिया है।

Author : Raj News Network

चुरू, राजस्थान। राजस्थान उच्च न्यायलय ने चुरू जिला के बीकानेर मार्ग पर स्थित 60 साल पुरानी करणी माता मंदिर को 4 जनवरी तक तोड़कर गिरा देने का निर्देश दिया है। यह निर्देश मिलाप माली द्वारा उच्च न्यायालय में करणी माता मंदिर को हटाने की मांग को लेकर याचिका दायर करने और याचिका की सुनवाई के बाद दिया गया है। न्यायालय ने जिला कलेक्टर को यह निर्देश दिया है कि, मंदिर तोड़कर रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए। इस मंदिर को हटाने का कारण यह बताया जा रहा हैं, यह मंदिर रास्ते बनने वाले भूमि से 75 फीट के अंदर आता है, इसीलिए इस मंदिर को हटाने के लिए याचिका लगाई गई हैं।

श्रद्धालुओं का कहना है :

श्रद्धालुओं ने बताया कि, वह इस मंदिर की एक ईट भी नहीं हटने देंगे। श्रद्धालु हरिराम सैनी ने बताया की इस मंदिर से एक किलोमीटर दूर स्थित ऐसे कई मंदिर है, जो सड़क भूमि के 75 फीट दूरी के दायरे में आते है, लेकिन उनको न हटाकर सिर्फ इस मंदिर को तोड़ा जा रहा है। श्रद्धालुओं ने आगे यह भी बताया कि, इससे पहले भी एक बार भूमि को लेकर विवाद हो चुका है, जिसमें पुलिस ने भी माना था की मंदिर रास्ते की भूमि पर नहीं आता है। श्रद्धालुओं ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को उनको आहत करने वाला आदेश बताया है।

किसने बनाया था मंदिर

स्थानीय लोगों के मुताबिक यह मंदिर स्वर्गीय पूर्णाराम प्रजापत ने 60 साल पहले बनाया था, जिसके बाद से लगातार यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और तब से यहां मत्था टेकने आज तक आते हैं। जैसे ही मंदिर को तोड़ने की बात गांव और स्थानीय लोगों तक पहुंची वैसे ही सब स्थानीय लोग मंदिर के पास आकर उसे बचाने की कोशिश करने लगे और मंदिर टूटने का विरोध करने लगे। उपखंड अधिकारी बृजेंद्रसिंह और तहसीलदार एवं पटवारी भी मौका रिपोर्ट करने पहुंचे थे।

पूर्णाराम प्रजापत के परिवार का क्या कहना है?

शांति देवी प्रजापत ने कहा कि, उनके ससुर ने 60 साल पहले यह मंदिर का निर्माण कराया था और इसके साथ स्थानीय लोगो की इस मंदिर के साथ गहरी आस्था भी जुड़ी हुई है, जिसके लिए वह अपनी जान पर खेलकर मंदिर को बचाएंगे। वहीं निर्मला प्रजापत ने बताया कि, उनके दादा जी ने बड़ी श्रद्धा के साथ इस मंदिर का निर्माण करवाया था और घर पर हर शादी रस्मों आदि तक को यह अदा किया जाता है, इसलिए वह इस मंदिर को टूटने का विरोध करती रहेंगी।

उच्च न्यायलय ने 4 जनवरी तक मंदिर तोड़ने का निर्देश दिया है और साथ ही जिला कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया हैं। स्थानीय लोग अभी तक मंदिर टूटने का विरोध कर रहे हैं।

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