राज एक्सप्रेस। राजस्थान के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारिवाल ने आज विधानसभा में बताया कि रविवार को महिला से रिश्वत के रुप में अस्मत मांगने के आरोप में गिरफ्तार पुलिस अधिकारी कैलाश बोहरा को आज निलंबित कर दिया गया हैं और उसे बर्खास्त करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है। श्री धारीवाल ने सदन में इस संबंध में दिये अपने वक्तव्य में बताया कि घटना को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि सुबह से मंथन चल रहा था और रविवार की घटना में आज आरोपी को बर्खास्त करने करने की प्रक्रिया शुरु कर देना यह सरकार की संवदेनशीलता ही है।
उन्होंने बताया कि इस अधिकारी के खिलाफ पहले भी सीबीआई में मामला दर्ज हुआ था और वह बरी हो गया। इस तरह के पचासों मामले देश में मिले हैं। उन्होंने बताया कि पीड़िता ने जयपुर के जवाहर सर्किल थाने में तीन मामले दर्ज कराये थे और उनकी तथाकथित जांच यह अधिकारी कर रहा था। उन्होंने बताया कि आरोपी ने मामले में पहले पीड़िता से पैसों की मांग की और बाद में बार बार जांच के नाम पर बुलाकर अंत में रिश्वत के नाम पर अस्मत मांगी। जिस पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रविवार को उसे इस मामले में गिरफ्तार कर लिया।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इस पर कहा कि धन्यवाद, आरोपी को बर्खास्त करने की कार्रवाई शुरु कर दी गई। ऐसे मामलों में चलाकर कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि ऐसी घटनाएं राजस्थान को शर्मसार करती हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि बाकी ऐसे मामलों में भी ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि राजस्थान की इस कारण खराब हुई छवि को बहाल कर सके।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि ऐसे लंबित मामलों के अधिकारियों को पदोन्नति नहीं दी जानी चाहिए। इस पर श्री धारीवाल ने कहा कि पदोन्नति की बात कर मामले को भटकाये नहीं। इस पर सभी विपक्ष के सदस्य खड़े होकर बोलने लगे जिससे शोरशराबा हुआ। श्री कटारिया ने मांग कि सदन को आश्वस्त करना चाहिए कि ऐसे मामलों के कोई अधिकारी अगर फील्ड में तैनात हैं तो उसे हटा दिया जायेगा। इस पर श्री धारीवाल ने कहा कि वह सैद्धांतिक तौर पर सहमत हैं लेकिन इसके लिए कोई वादा नहीं होगा। इस पर फिर विपक्ष के सदस्य खड़े हो गए। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बोलने पर एक बार फिर हंगामा हुआ। इस पर सभापति राजेन्द्र पारीक ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि मंत्री जी श्री कटारिया की भावना को मुख्यमंत्री को अवगत कराये। इससे पहले श्री राठौड़ ने शून्यकाल में इस मामले को उठाया था, जिस पर सरकारी की तरफ से वक्तव्य दिया गया।
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