अमित शाह ने आज पंजाब के अमृतसर में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की।
35 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न उत्पादन उत्तर क्षेत्र में ही होता है।
सभी सदस्य राज्यों से प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती को अपनाने का अनुरोध किया।
अमृतसर। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि पिछले पांच वर्षों में क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकार से बदलकर महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले मंच के रूप में सामने आई है। अमित शाह ने आज पंजाब के अमृतसर में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले पांच सालों में क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकार से बदलकर कार्रवाई करने वाले मंच के रूप में कारगर साबित हुई है। उन्होंने कहा कि उत्तरी क्षेत्रीय परिषद का देश के विकास और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है और देश की 21 प्रतिशत भूमि तथा 13 प्रतिशत जनसंख्या के साथ 35 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न उत्पादन उत्तर क्षेत्र में ही होता है। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा के लिए केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और सेना में सबसे अधिक जवान उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से आते हैं।
अमित शाह ने कहा कि सरकार को नारकोटिक्स और आतंकवाद पर नकेल कसने में कामयाबी मिली है। उन्होंने कहा कि सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के प्रति सरकार कटिबद्ध है और जल्द ही हमारी सीमाओं पर एंटी-ड्रोन प्रणाली की तैनाती होगी। उन्होंने उत्तरी क्षेत्रीय परिषद के सभी सदस्य राज्यों से पानी के बंटवारे संबंधी आपसी विवादों को खुले मन और आपसी विमर्श से सुलझाने का अनुरोध किया।
केंद्रीय गृह मंत्री ने सहकारिता, स्कूली बच्चों की ड्रॉप आउट दर और कुपोषण जैसे मुद्दों को प्राथमिकता बताते हुए सभी सदस्य राज्यों से इन पर खास ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन को गति देने से देश के 60 करोड़ से अधिक लोगों को समृद्धि की ओर ले जाने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी सदस्य राज्यों से प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती को अपनाने का अनुरोध किया और कहा कि इससे देश के किसानों को बहुत फायदा होगा।
केन्द्रीय मंत्री ने हिमाचल प्रदेश में आई भीषण बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए केन्द्र द्वारा राज्य सरकार को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन देते हुए कहा कि पूरा देश इस संकट की घड़ी में हिमाचल प्रदेश के साथ खड़ा है।
क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका की सराहना करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यद्यपि क्षेत्रीय परिषदों की प्रकृति सलाहकार की है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, क्षेत्रीय परिषदें विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ समन्वय को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई हैं।क्षेत्रीय परिषदें सदस्यों के बीच उच्चतम स्तर पर व्यक्तिगत बातचीत का अवसर प्रदान करती हैं और सौहार्द और सद्भावना के माहौल में कठिन और जटिल प्रकृति के मुद्दों को हल करने के लिए एक उपयोगी मंच के रूप में कार्य करती हैं। क्षेत्रीय परिषदें, चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से, सामाजिक और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यों के बीच एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करती हैं। क्षेत्रीय परिषदें राज्यों के सामान्य हित के मुद्दों पर भी चर्चा और सिफारिशें करती हैं।
बैठक में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के उप राज्यपालों, चंडीगढ़ के प्रशासक, सदस्य राज्यों के वरिष्ठ मंत्रियों, केंद्रीय गृह सचिव, सचिव, अंतर राज्य परिषद सचिवालय, सदस्य राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
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