Parkash Singh Badal Birthday Syed Dabeer Hussain - RE
पंजाब

Parkash Singh Badal Birthday : पंजाब के सबसे युवा और सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री रहे हैं प्रकाश सिंह बादल

पंजाब की राजनीति के 'पितामह' कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बादल साल 1970 में महज 43 साल की उम्र में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे।

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख नेता प्रकाश सिंह बादल आज अपना 95 वां जन्मदिन मना रहे हैं। पंजाब के सबसे युवा और सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को खुराना नाम के गांव में हुआ था, जो वर्तमान समय में पाकिस्तान में है। वह रिकॉर्ड 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं। यही कारण है कि प्रकाश सिंह बादल को पंजाब की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। तो चलिए प्रकाश सिंह बादल के जन्मदिन पर हम उनके राजनीतिक सफ़र के बारे में जानेंगे।

आजादी के साथ शुरू की थी राजनीति :

प्रकाश सिंह बादल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1947 में देश की आजादी के साथ ही कर दी थी। साल 1957 में महज 30 साल की उम्र में प्रकाश सिंह बादल ने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था। इसके बाद साल 1969 के चुनाव में वह दोबारा जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने गुरनाम सिंह की सरकार में कई मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला।

सबसे युवा और सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री :

पंजाब की राजनीति के 'पितामह' कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बादल साल 1970 में महज 43 साल की उम्र में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। इसी के साथ वह पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री भी बन गए थे। इसके बाद साल 1977 में प्रकाश सिंह बादल एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। इसके बाद साल 1997 में वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। साल 2007 में चौथी बार प्रकाश सिंह बादल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। साल 2012 में प्रकाश सिंह बादल पांचवीं बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। वह साल 2017 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे, उस समय उनकी उम्र 90 वर्ष की हो चुकी थी। उस समय वह देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री थे।

रिकॉर्ड 10 बार विधायक :

प्रकाश सिंह बादल पांच बार मुख्यमंत्री तो रहे ही, साथ ही वह रिकॉर्ड 10 बार विधायक भी रहे हैं। साल 1992 को छोड़ दें तो प्रकाश सिंह बादल साल 1969 से साल 2022 तक लगातार राज्य विधानसभा के चुनाव जीतते आए हैं। साल 1992 में अकालियों ने चुनावों का बहिष्कार किया था,, जबकि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 1977 में प्रकाश सिंह बादल केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे।

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