दिल्ली, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस (Constitution Day) समारोह में हिस्सा लिया।इस दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों और वेबसाइट का उद्घाटन किया। इसके साथ ही उन्होंने यहां आयोजित सभा को संबोधित किया।
नरेंद्र मोदी ने कही यह बात:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस समारोह में कहा कि, "1949 में यह आज का ही दिन था, जब स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नई भविष्य की नींव डाली थी, इस बार का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है, क्योंकि भारत ने अपने आज़ादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं।"
उन्होंने इस दौरान कहा कि, "आज 26/11 मुंबई आतंकी हमले का दिन भी है, 14 वर्ष पहले जब भारत अपना संविधान दिवस मना रहा था तब उसी दिन मानवता के दुश्मनों ने सबसे बड़ा हमला किया, मुंबई आतंकी हमले में जिनकी मृत्यु हुई मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "दुनिया भारत को बहुत उम्मीदों से देख रही है, एक ऐसा देश जिसके बारे में आशंका जताई जाती थी कि, वे (भारत) अपनी आज़ादी बरकरार नहीं रख पाएगा। आज वही देश पूरी सामर्थ्य से अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए यह देश आगे बढ़ रहा है।"
उन्होंने कहा कि, "हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है, जो ओपेन व फ्यूचरिस्टिक है और अपने आधुनिक विजन के लिए जाना जाता है। इसलिए स्वाभाविक तौर पर हमारे संविधान की स्पिरिट यूथ सेंट्रिक है।"
सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह में बोले केंद्रीय क़ानून, न्याय मंत्री किरेन रिजिजू:
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह में केंद्रीय क़ानून, न्याय मंत्री किरेन रिजिजू भी शामिल हुए, उन्होंने इस दौरान कहा कि, "संविधान वह आधारशिला है जिस पर भारतीय राष्ट्र खड़ा है और हर गुजरते साल नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है।आज यह अवसर मुझे संविधान निर्माताओं के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है।"
उन्होंने कहा कि, "बाबासाहेब डॉ. बी. आर. अंबेडकर के शब्दों को याद करना उपयुक्त होगा जब उन्होंने हमें यह कहकर सावधान किया था कि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस आजादी ने हमको बड़ी जिम्मेदारियां दी हैं। हमने आजादी पाकर गलत होने के लिए अंग्रेजों को दोष देने का बहाना खो दिया है।"
केंद्रीय क़ानून, न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि, "बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्व CJI एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता में भारतीय सामाजिक समिति का गठन किया है। यह समिति क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री का अनुवाद करेगी और सभी भारतीय भाषाओं के लिए एक सामान्य शब्दावली बनाएगी।"
उन्होंने कहा कि, "विधायी विभाग ने 65,000 कानून के शब्दों वाली एक शब्दावली तैयार की है। हमारी योजना इसे डिजिटाइज़ करने की है, जिसे जनता आसानी से इस्तेमाल कर सके। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित कानूनी शब्दावलियों को एकत्र, डिजिटाइज़ करने और जनता के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।"
वहीं, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने इस दौरान कहा की, "चुनौतिपूर्ण कार्य में जाति और अन्य सामाजिक विभाजनों की कुछ हानिकारक समस्याओं को मिटाने की आवश्यकता है। नए विभाजन पैदा किए बिना कानून, समाज और अदालतों के बीच समन्वय की मांग की जानी चाहिए।"
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