दिल्ली, भारत। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में दोनों देशों के बीच डाक टिकटों के आदान-प्रदान के साक्षी बने। इस दौरान मिस्र के राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त प्रेस बैठक में यह टिप्पणी दी।
भारत और मिस्र विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं मे से हैं :
मिस्र के राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त प्रेस बैठक में PM मोदी ने कहा- भारत और मिस्र विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं मे से हैं। हमारे बीच कई हज़ारों वर्षों का अनवरत नाता रहा है। चार हजार वर्षों से भी पहले, गुजरात के लोथल पोर्ट के माध्यम से मिस्र के साथ व्यापार होता था। विश्व की स्थितियों में अनेक परिवर्तनों के बावजूद मिस्र के साथ हमारे संबंध अक्षुण्ण बने हुए हैं। इस वर्ष भारत ने अपनी G-20 अध्यक्षता के दौरान Egypt को अतिथि देश के रूप आमंत्रित किया है, जो हमारी विशेष मित्रता को दर्शाता है। हमने आज अपने रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और मज़बूत करने, counter-terrorism संबंधी सूचना एवं इंटेलिजेंस का आदान-प्रदान बढ़ाने का भी निर्णय लिया है।
भारत और मिस्र दोनों वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के बढ़ते मामलों को लेकर चिंतित हैं। हम दोनों अपने इस रुख से सहमत हैं कि, आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इससे सबसे मजबूत संभव दृष्टिकोण से निपटा जाना चाहिए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
सीमा पार आतंकवाद से सख्ती से निपटा जाना चाहिए,भारत और मिस्र इसके खिलाफ आवाज उठाना जारी रखेंगे और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ कुशल संघों से लाभ उठाकर इससे निपटने के लिए काम करेंगे।
दोनों देशों के बीच सामरिक समन्वय पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि के क्षेत्र में मददगार होगा। इसलिए आज की बैठक में राष्ट्रपति सिसी और मैंने, हमारी द्वीपक्षीय भागीदारी को strategic partnership के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है।
भारत और मिस्र 'रक्षा' और 'सुरक्षा' सुनिश्चित करने के लिए असंख्य तरीके साझा करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमारे सशस्त्र बलों के बीच संयुक्त अभ्यास प्रशिक्षण और विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की घटनाएं देखी गई हैं।
कट्टरवाद और उग्रवाद फैलाने के लिए साइबरस्पेस का दुरुपयोग दुनिया में अब सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। हम इसे संयुक्त रूप से संबोधित करने के रास्ते पर हैं।
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