दिल्ली, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्टार्टअप उद्यमियों के साथ संवाद करेंगे। स्टार्टअप उद्यमयी प्रधानमंत्री के सामने छह विषयों पर प्रेजेंटेशन देंगे।
PM मोदी ने कहा कि, ''2022 भारत के स्टार्ट-अप क्षेत्र के लिए और नए अवसर लेकर आया है। भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में स्टार्ट-अप इंडिया इनोवेशन वीक का आयोजन भी महत्वपूर्ण है।''
स्टार्ट-अप्स का कल्चर देश के दूर-दराज तक पहुंचे :
PM मोदी ने कहा- स्टार्ट-अप्स का कल्चर देश के दूर-दराज तक पहुंचे इसके लिए 16 जनवरी को अब '"नेशनल स्टार्ट-अप डे के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है। इस दशक में, नवाचार, उद्यमिता और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णयों के 3 प्रमुख पहलू हैं -
1. उद्यमिता- इसे ब्यूराक्रेटिक सिलोस से मुक्त करने के लिए
2. नवाचार - संस्थागत तंत्र विकसित करने की जरूरत है
3. युवा नवोन्मेषकों को संभालना
PM मोदी ने बताया- हमारा प्रयास देश में बचपन से ही छात्रों में innovation के प्रति आकर्षण पैदा करने, innovation को institutionalise करने का है। 9,000 से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब्स, आज बच्चों को स्कूलों में innovate करने, नए Ideas पर काम करने का मौका दे रही हैं। जीईएम प्लेटफॉर्म पर स्टार्ट-अप रनवे सुविधा का उपयोग स्टार्ट अप द्वारा अपने उत्पादों को सरकार को उपलब्ध कराने के लिए भी किया जा रहा है।
युवाओं की क्षमता और रचनात्मकता में विश्वास किसी भी राष्ट्र के विकास का आधार है। भारत आज अपने युवाओं में विश्वास रखता है और उसी के अनुरूप नीतियां बना रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
सरकार के अलग-अलग विभाग, मंत्रालय, नौजवानों और स्टार्ट-अप्स के साथ संपर्क में रहते हैं। उनके आइडियाज को प्रोत्साहित करते हैं। सरकार की प्राथमिकता ज्यादा से ज्यादा युवाओं को innovation का मौका देने की है।
नए ड्रोन नियमों से लेकर नई अंतरिक्ष नीति तक, सरकार युवाओं को नवाचार के अधिक से अधिक अवसर देने की कोशिश कर रही है। हमारी सरकार ने आईपीआर नियमों में भी ढील दी है। केंद्र और राज्य सरकारें भी बड़ी संख्या में इन्क्यूबेटरों को बढ़ावा दे रही हैं।
2013-14 में, 4,000 पेटेंट स्वीकृत किए गए थे। पिछले साल, 28,000 से अधिक पेटेंट दिए गए थे। 2013-14 में लगभग 70,000 ट्रेडमार्क पंजीकृत किए गए थे। 2021 में, 2.5 लाख से अधिक ट्रेडमार्क पंजीकृत किए गए थे। 2013-14 में, केवल 4,000 कॉपीराइट दिए गए थे। पिछले साल यह 16,000 को पार कर गया था।
Innovation को लेकर भारत में जो अभियान चल रहा है, उसी का प्रभाव है कि Global Innovation Index में भी भारत की रैंकिंग में बहुत सुधार आया है। वर्ष 2015 में इस रैंकिंग में भारत 81 नंबर पर था। अब इनोवेशन इंडेक्स में भारत 46 नंबर पर है।
भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम लगातार खुद को खोज और सुधार रहा है। यह सीखने और बदलने की निरंतर स्थिति में है। भारत के स्टार्टअप अब 55 अलग-अलग उद्योगों में काम कर रहे हैं। पांच साल पहले, भारत में 500 स्टार्टअप भी नहीं थे! आज यह संख्या 60,000 को पार कर गई है।
पूरे भारत में कम से कम 625 जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप है। भारत के सभी स्टार्टअप में से लगभग आधे टियर- II या टियर- III शहरों में हैं। इससे पता चलता है कि, हर वर्ग के लोग अपने विचारों को व्यवसाय में बदल रहे हैं।
जिस स्पीड और स्केल में आज भारत का युवा स्टार्ट-अप बना रहा है, वो वैश्विक महामारी के इस दौर में भारतीय की प्रबल इच्छा शक्ति और संकल्प शक्ति का प्रमाण है। पहले बेहतरीन से बेहतरीन समय में इक्का-दुक्का कंपनियां ही बड़ी बन पाती थी, लेकिन बीते साल तो 42 यूनिकॉर्न देश में बने हैं।
हजारों करोड़ रुपये की ये कंपनियां आत्मनिर्भर होते, आत्मविश्वासी भारत की पहचान हैं। आज भारत तेज़ी से यूनिकॉर्न की सेंचुरी लगाने की तरफ बढ़ रहा है। मैं मानता हूं, भारत के स्टार्ट-अप्स का स्वर्णिम काल तो अब शुरु हो रहा है।
भारत के स्टार्ट-अप्स खुद को आसानी से दुनिया के दूसरे देशों तक पहुंचा सकते हैं। इसलिए आप अपने सपनों को सिर्फ local न रखें, बल्कि global बनाएं। इस मंत्र को याद रखिए- let's Innovate for India, innovate from India.
21वीं सदी के इस दशक में आपको ये बात ध्यान रखनी है कि जिस स्पीड से, जिस स्केल में आज सरकार गांव-गांव तक डिजिटल एक्सेस देने के लिए काम कर रही है,उससे भारत में करीब 100 करोड़ इंटरनेट यूजर होने वाले हैं। मेरा स्टार्ट-अप्स से आग्रह है कि आप गांवों की तरफ भी बढ़ें।
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