गुजरात, भारत। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 20 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर बड़ी सौगात दी है।
पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास भी हुआ :
PM मोदी ने आज सोमनाथ सैरगाह, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर का उद्घाटन किया है। इस दौरान अपने संबोधन में PM मोदी ने कहा- मेरा सौभाग्य है कि सोमनाथ मंदिर ट्रेस्ट के अध्यक्ष के रूप में मुझे इस पुण्य स्थान की सेवा का अवसर मिलता रहा है। आज फिर हम सब इस पवित्र तीर्थ के कायाकल्प के साक्षी बन रहे हैं। आज मुझे समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी और जीर्णोद्धार के बाद नए स्वरूप में जूना सोमनाथ मंदिर के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है। साथ ही आज पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास भी हुआ है।
PM मोदी ने कहा, "आज मैं, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को भी प्रणाम करता हूँ जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है। सोमनाथ आने वाले श्रद्धालु अब यहां जूना सोमनाथ मंदिर के भी आकर्षक स्वरूप का दर्शन करेंगे, नए पार्वती मंदिर का दर्शन भी करेंगे। इससे यहां नए अवसरों और नए रोजगारों का भी सृजन होगा और स्थान की दिव्यता भी बढ़ेगी।"
ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं। इसलिए शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं। शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है।
सोमनाथ मंदिर को सदियों से कई बार तोड़ा गया :
PM मोदी ने कहा- सोमनाथ मंदिर को सदियों से कई बार तोड़ा गया है और मूर्तियों को भी नष्ट करने का प्रयास किया गया है। हालाँकि, इसने समय और इन प्रयासों की परीक्षा जीती; बार-बार वापस खड़ा होना। ये ऐसा स्थल है जिसे हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने ज्ञान का क्षेत्र बताया था। जो आज भी पूरे विश्व के सामने आह्वान कर रहा है कि सत्य को असत्य से हराया नहीं जा सकता, आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता।
इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहाँ की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।
आज राम मंदिर के रूप में नए भारत के गौरव का एक प्रकाशित स्तम्भ भी खड़ा हो रहा है। हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की।
हमारे लिए इतिहास और आस्था का मूल भाव है सबका साथ- सबका विकास - सबका विश्वास और सबका प्रयास। हमारे यहां जिन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है, उनकी शुरुआत सोमनाथ मंदिर से ही होती है।
पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं।
इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।
हमारा पर्यटन विभाग स्वदेश दर्शन कार्यक्रम के तहत 15 विभिन्न विषयों पर आधारित पर्यटन सर्किट विकसित कर रहा है। ये सर्किट पूरे क्षेत्रों में पर्यटन और रोजगार के अवसरों के विकास में मदद करेंगे।
हमने पूरे देश में पर्यटन को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक पर 65वें स्थान पर था। 2019 तक, यह 34वें स्थान पर पहुंच गया है।
ई-वीजा व्यवस्था और आगमन पर वीजा को आगे बढ़ाया गया है और वीजा शुल्क भी कम किया गया है। पर्यटन में आतिथ्य पर जीएसटी को भी कम किया गया है। इन सभी ने इस क्षेत्र को लाभान्वित किया है और COVID के बाद के युग में इसके पुन: विकास में मदद करेगा।
भारत ने 120 पर्वत चोटियों को ट्रेकिंग के लिए खोल दिया है। पर्यटकों को परेशानी मुक्त अनुभव सुनिश्चित करने के लिए गाइडों को प्रशिक्षित करने के कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।
बाबा केदारनाथ का विकास हो या उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए कठिन पहाड़ों में टनल व हाइवे का निर्माण हो, वैष्णो देवी मंदिर के आसपास विकास हो, या पूर्वोत्तर तक पहुंच रहा हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर, आज देश में अपनों से दूरियां सिमट रही हैं।
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