मन की बात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेे अपने सप्ताहिक मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए आज अक्टूबर के आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे देश को संबोधित किया। इस बार PM के मन की बात का यह 70वां संस्करण है।
वोकल फॉर लोकल का संकल्प याद रखें :
प्रधानमंत्री मोदी मन की बात कार्यक्रम के जरिए लोगों को संबोधित करते हुए आज विजयादशमी यानि दशहरे का पर्व के पावन अवसर पर आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं दी और कहा, ''दशहरे का ये पर्व, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है, लेकिन साथ ही ये एक तरह के संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व भी है। जब हम त्योहार की बात करते हैं, तो सबसे पहले मन में यही आता है कि बाजार कब जाना है? इस बार जब आप खरीदारी करने जाएं तो 'वोकल फॉर लोकल' का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है।''
सैनिकों के नाम दीया जलाने की अपील :
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपील करते हुए कहा- लॉकडाउन में हमने समाज के उन साथियों को और करीब से जाना है जिनके बिना हमारा जीवन बहुत मुश्किल हो जाता। कठिन समय में ये आपके साथ थे, अब अपने पर्वों में अपनी खुशियेां में भी हमें इनको साथ रखना है। हमें अपने उन जांबाज सैनिकों को भी याद रखना है जो त्योहारों में भी सीमाओं पर डटे हैं। भारत माता की सेवा और सुरक्षा कर रहे हैं। हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार बनाने हैं। हमें घर पर एक दीया भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है।
दुनिया हमारे लोकल प्रोडक्ट्स की फैन :
PM मोदी ने कहा, ''आज जब हम लोकल के लिए वोकल हो रहे हैं तो दुनिया भी हमारे लोकल प्रोडक्ट्स की फैन हो रही है। हमारे कई लोकल प्रोडक्ट्स में ग्लोबल होने की बहुत बड़ी शक्ति है। खादी की प्रॉपुलरिटी तो बढ़ ही रही है साथ ही दुनिया में कई जगह खादी बनाई भी जा रही है। मेक्सिको में एक जगह है 'ओहाका (Oaxaca)'. इस इलाके में कई गांव ऐसे हैं जहां स्थानीय ग्रामीण खादी बुनने का काम करते हैं।''
खादी के मास्क बहुत पॉपुलर :
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि, ''दिल्ली के कनौघट प्लेस के खादी स्टोर में इस बार गांधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई। इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत पॉपुलर हो रहे हैं। जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है, तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढ़ती है। जैसे हमारे आध्यात्म ने योग ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। हमारे कई खेल भी दुनिया को आकर्षित कर रहे हैं।''
PM मोदी के 'मन की बात' की बड़ी बातें :
कुछ ही दिनों बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती, 31 अक्टूबर को हम सब 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के तौर पर मनाएंगे।
जरा उस लौह पुरुष की छवि की कल्पना कीजिए जो राजे-रजवाड़ों से बात कर रहे थे, पूज्य बापू के जन-आंदोलन का प्रबंधन कर रहे थे, साथ ही अंग्रेजों से लड़ाई भी लड़ रहे थे। इन सब के बीच भी उनका sense of humour पूरे रंग में होता था।
बापू ने सरदार पटेल के बारे में कहा था- उनकी विनोदपूर्ण बातें मुझे इतना हंसाती थी कि हंसते-हंसते पेट में बल पड़ जाते थे। इसमें, हमारे लिए भी एक सीख है, परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हों, अपने sense of humour को जिंदा रखिये।
सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की एकजुटता के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने आजादी के साथ किसानों के मुद्दों को जोड़ने का काम किया। उन्होंने राजे-रजवाड़ों को हमारे राष्ट्र के साथ एक करने का काम किया। वे विविधता में एकता के मंत्र को हर भारतीय के मन में जगा रहे थे।
केरल में जन्मे पूज्य आदि शंकराचार्य जी ने, भारत की चारों दिशाओं में चार महत्वपूर्ण मठों की स्थापना की- उत्तर में बद्रिकाश्रम, पूर्व में पूरी, दक्षिण में श्रृंगेरी और पश्चिम में द्वारका। उन्होंने श्रीनगर की यात्रा भी की, यही कारण है कि वहां एक शंकराचार्य पहाड़ी है।
तीर्थाटन अपने आप में भारत को एक सूत्र में पिरोता है। ज्योर्तिलिंगों और शक्तिपीठों की श्रृंखता भारत को एक सूत्र में बांधती है। त्रिपुरा से लेकर गुजरात तक जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक स्थापित हमारे आस्था के केंद्र हमें एक करते हैं।
ये वेबसाइट देखने का किया आग्रह :
इस दौरान PM मोदी ने देश की एकता का प्रचार प्रसार करने वाली एक वेबसाइट को लेकर कहा- मैं आप सबसे एक वेबसाइट देखने का आग्रह करता हूं- https://ekbharat.gov.in इसमें नेशनल इंटीग्रेशन की हमारी मुहिम को आगे बढ़ाने के कई प्रयास दिखाई देंगे।
PM मोदी ने कहा, ''आज मन की बात के जरिए समस्त देशवासियों की ओर से मैं मंजूर भाई समेत पुलवामा के मेहनतकश भाई-बहनों को और उनके परिवार वालों को उनकी प्रशंसा करता हूं। आप सब देश के Young Minds को शिक्षित करने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे आज पुलवामा देश को पढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कश्मीर घाटी देश की 90% पेंसिल लकड़ी की मांग को पूरा करती है और उसमें बड़ी हिस्सेदारी पुलवामा की है। पहले विदेशों से पेंसिल की लकड़ी मंगवाते थे, लेकिन अब हमारा पुलवामा इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर बना रहा है।''
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