कांग्रेस ने रविदास मंदिर गिराने के लिए डीडीए पर दायर की याचिका Social Media
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कांग्रेस ने रविदास मंदिर गिराने के लिए डीडीए पर दायर की याचिका

नई दिल्ली : दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने संत रविदास मंदिर को गिराने के लिए डीडीए पर कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है।

Author : Sushil Dev

राज एक्सप्रेस। दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने संत रविदास मंदिर को गिराने के लिए डीडीए पर कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि, ऐतिहासिक 600 साल पुराने इस मंदिर को गैर कानूनी तरीके से गिराने के लिए डीडीए की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस बावत् संज्ञान लेने की अपील की है।

मंदिर के पुर्ननिर्माण के साथ सरोवर पुर्नस्थापना की मांग दोहराई

न्यायालय के सामने यह प्रार्थना की गई है कि जब तक मंदिर का पुर्ननिर्माण न हो जाए तब तक मंदिर का मुख्य द्वार खोल दिया जाए और हमें मंदिर और सरोवर में जाकर पूजा-अर्चना करने के मौलिक अधिकार से वंचित न किया जाए। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि रविदास मंदिर के लिए सिकंदर लोदी ने 1509 में भूमि दी थी और इस मंदिर और तालाब का ऐतिहासिक महत्त्व था।

उन्होंने बताया कि, स्वयं संत शिरोमणी गुरू रविदास ने यहां निवास किया था। लिलोठिया ने आश्चर्य व्यक्त किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं पर भी मंदिर को गिराने का आदेश नहीं दिया था, इसके बावजूद डीडीए ने 10 अगस्त 2019 को मंदिर को गैरकानूनी तरीके से गिरा दिया। यह गौर करने की बात है कि दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट के सम्मुख अनेक शपथ पत्र दायर करके गैर कानूनी धार्मिक स्थलों का विवरण दिया था, लेकिन उस लिस्ट में रविदास मंदिर और तालाब का विवरण नहीं था।

याचिका के अनुसार

डीडीए ने रविदास मंदिर में स्थित मूर्तियों को गायब करके और तालाब को नष्ट करके देश-विदेश के करोड़ों लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। याचिका में मांग की गई है कि पूजा का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार है और ऐतिहासिक स्थल पर रविदास का मंदिर बनाने के साथ पवित्र सरोवर की भी पुर्नस्थापना होनी चाहिए। उन्होेंने डीडीए के संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यह मंदिर करोड़ों दलितों की आस्था का केंद्र रहा है, जिस पर कुठाराघात किया गया है। उन्होंने बताया कि इस पर 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के सम्मुख सुनवाई होने की संभावना है।

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